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सावन शिवरात्रि पर ऐसे करें विशेष पूजा

सावन शिवरात्रि पर ऐसे करें विशेष पूजा

सावन शिवरात्रि पर कैसे करें पूजा, जानिए पूजन सामग्री और संपूर्ण विधि 

श्रावण मास की शिवरात्रि, भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर मानी जाती है। इस दिन भक्त विशेष पूजा, व्रत और रात्रि जागरण करके भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। सावन शिवरात्रि पर की गई पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है, विशेष रूप से जब इसे पारंपरिक विधि और श्रद्धा के साथ किया जाए। 

सावन शिवरात्रि 2024 का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 23 जुलाई को है। इस दिन रात्रि को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है जिसे निशीथ काल पूजा कहते हैं।

  • निशीथ काल पूजा का समय: 23 जुलाई की रात 12:06 से 12:49, 24 जुलाई तक रहेगा। यह काल शिव की आराधना के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।

पूजन से पहले की तैयारी

  • प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहाँ शिवलिंग या भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
  • व्रत रखने का संकल्प लें और पूरे दिन सात्विक आहार या निर्जल उपवास रखें।

सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव को अर्पित करें खीर और मिठाई

  • शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। इसके लिए गंगाजल या शुद्ध जल का प्रयोग करें।
  • इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर और घी) से अभिषेक करें और पुनः गंगाजल से स्नान कराएं।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी पत्र, मदार के फूल, सफेद चंदन और अक्षत अर्पित करें।
  • सुगंधित इत्र, पुष्प माला, धूप, दीप, कपूर, शहद, मौसमी फल और नैवेद्य चढ़ाएं।
  • शिव जी के मस्तक पर त्रिपुंड (तीन सफेद रेखाएं) बनाएं और घी का दीपक जलाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का 108 बार जाप करें।
  • खीर, मिठाई या अन्य भोग शिव जी को अर्पित करें।
  • अंत में आरती करें, शिव आरती और शिव चालीसा का पाठ करें और प्रसाद वितरण करें।

सावन शिवरात्रि पूजन सामग्री 

  • शिवलिंग या भगवान शिव की प्रतिमा
  • जनेऊ
  • बेलपत्र, भांग, शमी के पत्ते, मदार के फूल
  • फूल माला
  • गंगाजल, गाय का दूध, दही, घी, शक्कर
  • सफेद चंदन, अक्षत (चावल)
  • इत्र, पान, सुपारी
  • शहद, मौसमी फल
  • भस्म, अभ्रक
  • कुश का आसन
  • हवन सामग्री
  • माता पार्वती के लिए श्रृंगार सामग्री
  • दीपक, कपूर
  • शिवरात्रि व्रत कथा, शिव आरती और शिव चालीसा की पुस्तक

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