सावन मास हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का विशेष समय होता है। यह महीना वर्ष के उन महीनों में से एक है, जब शिवभक्त पूरी श्रद्धा और नियमों से व्रत रखते हैं और भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। सावन के हर सोमवार को व्रत और शिव पूजा का विशेष महत्व है, लेकिन सावन का अंतिम सोमवार सबसे अधिक फलदायी और शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के चार या पांच सोमवारों में अंतिम सोमवार को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। यह दिन पूरे सावन माह की तपस्या, उपासना और व्रतों का सार समेटे होता है। मान्यता है कि जो भक्त पूरे महीने श्रद्धापूर्वक शिव आराधना करते हैं, उन्हें अंतिम सोमवार को समस्त पुण्य प्राप्त होते हैं।
शिवपुराण और अन्य धर्मशास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन किया गया रुद्राभिषेक शीघ्र फल देता है। भक्तों की कठिन तपस्या और आराधना इस दिन परिपक्व होती है, इसलिए इसे संकल्प सिद्धि का दिन भी कहा गया है।
सावन के अंतिम सोमवार को पूजा और व्रत करने से शिवभक्तों को इन विशेष फल की प्राप्ति होती है:
धार्मिक ग्रंथों में ऐसा कहा गया है ‘शिवं यजेत रुद्राभिषेकेन’, अर्थात शिव की आराधना रुद्राभिषेक के माध्यम से सबसे श्रेष्ठ होती है। अंतिम सोमवार को विशेष रूप से रुद्राभिषेक करने का प्रावधान है। इसमें जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।