मेघना गुफा मंदिर, 5000 साल पुराना रॉक-कट गुफा शिव मंदिर है। गुफा की दीवार पर प्राचीन संस्कृत शिलालेख अंकित हैं। यह गुफा जीरो की घाटी के बीच, दापोरिजो में समुद्र तल से 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। शिवरात्रि के उत्सव के दौरान इस मंदिर में दर्शन किये जा सकते हैं। यह एक चट्टानी गुफा मंदिर है जिसमें दो सुरंग हैं जो गुफा की दीवार के पीछे और बायीं ओर स्थित हैं। पहली सुरंग गुफा की पिछली दीवार से शुरु होती है, जो सीढ़ियों से पहुंचने वाले प्लेटफार्म से लगभग 1.80 मीटर ऊंची जगह पर है।
इस मंदिर की सुरंग का द्वार बड़ा है और इसमें एक व्यक्ति प्रवेश कर सकता है। लेकिन धीरे-धीरे ये इतना सकरा होता जा रहा है कि लोगों को आगे प्रवेश के लिए रेंगना पड़ता है। सुरंग के अंदरूनी हिस्से में बहुत अंधेरा है। इस सुरंग की छत गुफा के फर्श से लगभग 0.90 मीटर का गैप है।
1962 में हुई मंदिर की खोज, 1966 में दर्शन के लिए खुला
मेघना गुफा मंदिर भगवान लकुलीश को समर्पित है जो भगवान शिव के 28वें अवतार थे। मंदिर की खोज 1962 में हुई थी और बाद में 1966 में इसे जनता के लिए खोला गया था। लेकिन इसका इतिहास 5000 साल पुराना है। इसकी स्थापत्य शैली प्राचीन ज्ञान और प्राकृतिक सुंदरता का एक मिश्रण है, जिसमें जटिल नक्काशी और एक शांतिपूर्ण माहौल है। इस मंदिर के आसपास हरे-भरे जंगलों के शानदार दृश्य देखने को मिलते हैं। फरवरी के दौरान महाशिवरात्रि पर यहां एक भव्य उत्सव की व्यवस्था की जाती है।
हवाई मार्ग - दापोरिजो के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा लीलाबाड़ी हवाई अड्डा है, जो शहर से लगभग 260 किलोमीटर दूर है। लीलाबाड़ी से दापोरिजो तक पहुंचने के लिए टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध है। दापोरिजो से 286 किलोमीटर दूर डिब्रूगढ़ हवाई अड्डे को भी एक विकल्प के रूप में माना जा सकता है।
रेल मार्ग - दापोरिजो का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नाहरलागुन रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 260 किलोमीटर दूर है। नई दिल्ली गुवाहाटी से नाहरलागुन तक असम होते हुए ट्रेन उपलब्ध है। डिब्रूगढ़ रेलवे स्टेशन भी पर्यटकों के लिए एक अन्य विकल्प है।
सड़क मार्ग - ईटानगर, जीरो और लीलाबाड़ी से दापोरिजो तक पहुंचने के लिए बसें आसानी से उपलब्ध है। आप निजी बसों और टैक्सी भी ले सकते हैं।
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम,
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
चहुं दिशि बरसें राम रस,
छायों हरस अपार,
हिंदू धर्म में प्रत्येक माह की अष्टमी को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे विश्व में कृष्ण भक्तों के द्वारा खूब हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है।