सनातन परंपरा में भगवान विष्णु के वामन अवतार को विशेष स्थान प्राप्त है। त्रेता युग में जब राजा बलि ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी, तब भगवान विष्णु ने ब्राह्मण बालक वामन के रूप में अवतार लिया और तीन पग भूमि मांगकर समस्त सृष्टि को माप लिया। वामन अवतार केवल दैत्य के अहंकार का विनाश ही नहीं, बल्कि दान, विनम्रता और धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक भी है। देशभर में कुछ गिने-चुने स्थानों पर भगवान वामन के प्रमाणिक मंदिर आज भी स्थित हैं, जो इस कथा की जीवंत स्मृति बने हुए हैं।
वामन मंदिर, कांचीपुरम (तमिलनाडु)
कांचीपुरम को दक्षिण भारत का धर्मनगरी कहा जाता है। यहां स्थित वामन मंदिर को ‘उलगालंधा पेरुमाल मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर विष्णु के विराट ‘त्रिविक्रम’ रूप को समर्पित है। यहां भगवान की मूर्ति अद्भुत है – एक पग आकाश में और दूसरा पृथ्वी पर। यह मंदिर 108 दिव्य देशमों में शामिल है।
वामन त्रिविक्रम मंदिर, थिरुकोविलूर (तमिलनाडु)
यह मंदिर भी भगवान वामन के विराट स्वरूप को समर्पित है। मान्यता है कि यहीं भगवान ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी थी और फिर ब्रह्मांड को माप लिया। मंदिर में भगवान की विराट मूर्ति दर्शनीय है। यहां हर साल भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को विशेष उत्सव होता है।
वामन मोहन मंदिर, वृंदावन (उत्तर प्रदेश)
ब्रजभूमि में स्थित यह मंदिर वामन के बाल ब्राह्मण स्वरूप की भक्ति का केंद्र है। यह मंदिर छोटा लेकिन श्रद्धा से पूजित है। व्रत, कथा और पूजा के लिए यहां दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं। स्थानीय मान्यता है कि यह स्थल ब्रज के दिव्य स्थलों में से एक है।
वामन मंदिर, त्रिवेंद्रम (केरल)
त्रिवेंद्रम के बाहरी क्षेत्र में स्थित यह मंदिर केरल की पारंपरिक वास्तुकला में बना है। यहां हर साल ओणम पर विशेष पूजा होती है। यह पर्व राजा बलि और वामन अवतार से जुड़ा है। यहां श्रद्धालु भगवान को ‘उप्पलूर वामन’ के नाम से पूजते हैं।
त्रिविक्रम मंदिर, गोवा
गोवा के पुराने अभिलेखों में एक प्रसिद्ध त्रिविक्रम मंदिर का उल्लेख आता है, जो पुर्तगाली काल में नष्ट हो गया। हालांकि उसके कुछ अवशेष अब भी संरक्षित हैं और श्रद्धालु वहां पूजा-अर्चना करने जाते हैं।
कैसे भूलूंगा दादी मैं तेरा उपकार,
ऋणी रहेगा तेरा,
कैसे दर आऊं,
मैं तेरे दरश पाने को,
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना,
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना॥
कैसी लीला रचाई जी,
के हनुमत बालाजी,