कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना,
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना॥
मेरे पापों का कोई ठिकाना नहीं,
तेरी प्रीत क्या होती जाना नहीं,
शरण देदो मेरे अवगुण निहारे बिना॥
॥ कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना...॥
मोहे प्रीत की रीत सिखा दो प्रिया,
अपनी यादो में रोना सिखा दो प्रिया,
जीवन नीरस है अखिओं के तारे बिना॥
॥ कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना...॥
प्यारी पतितों की पतवार तुम ही तो हो,
दीन दुखिओं की आधार तुम्ही तो हो,
अब मैं जाऊं कहा तेरे द्वारे बिना॥
॥ कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना...॥
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना,
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना॥
नाम है तेरा कृष्ण कन्हैया,
नाथद्वारा सन्मुख होगा,
शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम्
नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम्
नाम है तेरा तारण हारा,
कब तेरा दर्शन होगा,
नाम लेगा जो बजरंगबली का,
कष्ट जीवन के सारे कटेंगे ॥