झूला झुलाये रहे वाह रे लंगूरवा।
झूला झुलाये रहे वाह रे लंगूरवा।
अम्बे रानी तेरो झूलना रे।
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
मिलके सजाए रहे सारे भगतवा।
मिलके सजाए रहे सारे भगतवा।
अम्बे रानी तेरो झूलना रे।
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
शेरों वाली रानी का, दुर्गे महारानी का प्यारा है झूलना।
जो भी यहां आता है, सबसे बताता है प्यारा है झूलना।
(शेरों वाली रानी का, दुर्गे महारानी का प्यारा है झूलना।
जो भी यहां आता है, सबसे बताता है प्यारा है झूलना।)
ऊंची पहड़िया भक्त जो जाए, मां का दरस कर खुश हो जाए।
अम्बे रानी तेरो झूलना रे।
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
जगजननी, जगदम्बे का, मैय्या रानी अम्बे का, देखो तो झूलना।
यहां ऊंचे पर्वत पे, बिन पाए, बिन कंभे का, देखो तो झूलना।
(जगजननी, जगदम्बे का, मैय्या रानी अम्बे का, देखो तो झूलना।
यहां ऊंचे पर्वत पे, बिन पाए, बिन कंभे का, देखो तो झूलना।)
विश्वकर्मा ने दियो बनाए और भक्तों ने लियो सजाए।
अम्बे रानी तेरो झूलना रे।
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
तारे, कुंदा बांधे हैं, रेशम डोरी प्यारी है, ऐसो है झूलना।
मैय्या जी के झूले की, शोभा बड़ी न्यारी है, ऐसो है झूलना।
(तारे, कुंदा बांधे हैं, रेशम डोरी प्यारी है, ऐसो है झूलना।
मैय्या जी के झूले की, शोभा बड़ी न्यारी है, ऐसो है झूलना।)
कितने सितारे इसमें लगाए, दूर तलक ये हां झिलमिलाए।
अम्बे रानी तेरो झूलना रे।
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
लंगूरे झुलाए मां, सखियां मंगल गाए मां, पावन है झूलना।
यहां निरंजन आए जो, जीवन धन्य बनाए जो, पावन है झूलना।
(लंगूरे झुलाए मां, सखियां मंगल गाए मां, पावन है झूलना।
यहां निरंजन आए जो, जीवन धन्य बनाए जो, पावन है झूलना।)
पवन के संग मां इत उत डोले, थम थम के ये ले हिचकोले।
अम्बे रानी तेरो झूलना रे।
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
(अम्बे रानी तेरो झूलना रे।)
सनातन परंपरा में धन की देवी लक्ष्मीजी के आठ अवतार बताए गए हैं। जिन्हें अष्ट लक्ष्मी कहा जाता हैं। इनमें संतान लक्ष्मी भी माता के प्रमुख अवतारों में से हैं।
कार्तिक मास की अमावस्या तिथि हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीवाली के रूप में मनाई जाती है। इस दिन झिलमिलाते दीपों की ज्योति और हर्षोल्लास के साथ माता लक्ष्मी की विशेष पूजन की जाती है।
अष्ट लक्ष्मी में गज लक्ष्मी का व्रत और पूजन दिवाली के समान महत्वपूर्ण है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। इस दिन महालक्ष्मी देवी अपार धन संपत्ति और खुशहाल जीवन का विशेष वरदान देती हैं।
दीवाली 2024: माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है श्री सूक्त, पाठ करने से तुरंत प्रसन्न होती हैं विष्णुप्रिया