Logo

रक्षाबंधन का पौराणिक रहस्य: जब पत्नी ने अपने पति को बांधा था रक्षा सूत्र

रक्षाबंधन का पौराणिक रहस्य: जब पत्नी ने अपने पति को बांधा था रक्षा सूत्र

इन कथाओं में जानें रक्षाबंधन का पौराणिक रहस्य, जब पत्नी ने अपने पति को बांधा था रक्षा सूत्र


रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का त्योहार है। जिसमें बहन अपनी भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, साथ ही आशीर्वाद भी देती है। इसके बदले में भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है। भारतीय परंपरा में सदियों से ये त्योहार मनाया जा रहा है लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा कि इस त्योहार को मनाने की शुरुआत कैसे हुई और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है… जानते हैं भक्तवत्सल के इस आर्टिकल में…


1. जब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा श्रीकृष्ण की उंगली में बांधा 


रक्षाबंधन मनाने के पीछे हिंदू पौराणिक कथाओं और महाकाव्यों में कई कहानियां बताई गई हैं, जो भाई-बहन के पवित्र बंधन को दर्शाती है। इन्ही में से एक कहानी महाभारत काल की भी. इस कहानी के अनुसार महाभारत के युद्ध से पहले जब भगवान श्री कृष्ण इंद्रप्रस्थ में थे तब उन्होंने शिशुपाल का वध किया था. शिशुपाल श्री कृष्ण की बुआ का बेटा था और कृष्ण ने अपनी बुआ को उसकी 99वें गाली माफ करने का वचन दिया था। लेकिन जब इंद्रप्रस्थ में शिशुपाल ने श्रीकृष्ण को 100वीं गाली दी तो श्री कृष्ण ने अपनी उंगली से सुदर्शन चक्र निकाला और शिशुपाल का वध कर दिया। जब चक्र वापस श्री कृष्ण की उंगली में आया तो उससे भगवान श्रीकृष्ण की उंगली कट गई और उसमें से खून बहने लगा। श्री कृष्ण की उंगली से बहते खून को देखकर वहां उपस्थित द्रौपदी ने अपने साड़ी का टुकड़ा फाड़ा और उनकी उंगली पर बांध दिया। इस घटना ने भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच एक गहरा बंधन स्थापित किया। जिसके बाद भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को हर संकट से बचाने और उनकी रक्षा करने का वचन दिया। कहा जाता है कि द्रोपदी के इसी छोटे से चीर के बदले भगवान श्री कृष्ण ने उनके चीरहरण के समय उनकी मदद की थी और वो छोटा सा कपड़े का टुकड़ा एक कभी न खत्म होने वाली साड़ी के रूप में वापस किया।


2. जब युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण के कहने पर सेना को बांधा रक्षा सूत्र


रक्षाबंधन को लेकर पुराणों में कई कहानियां प्रचलित हैं। प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथ महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार जब महाभारत युद्ध के दौरान, युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि वह सभी संकटों को किस प्रकार पार कर सकते हैं। तो भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से अपने सभी सैनिकों को रक्षा सूत्र बांधने के लिए। जिसके बाद युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण की सलाह मानी और अपनी पूरी सेना में सभी को रक्षा सूत्र बांधा और युद्ध में एक-दूसरे की रक्षा करने का वचन दिया। इसके बाद, युधिष्ठिर की सेना ने महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त की। यह कहानी महाभारत के भीष्म पर्व में वर्णित है, जिसमें भगवान कृष्ण और युधिष्ठिर के बीच के संवाद का वर्णन है। महाभारत के अलावा, यह कहानी अन्य पुराणों में भी वर्णित है, जैसे कि भविष्य पुराण और पद्म पुराण में। इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि रक्षाबंधन का त्योहार न केवल भाई-बहन के बीच के पवित्र बंधन को दर्शाता है, बल्कि यह हमें संकटों से बचाव के लिए भी प्रेरित करता है। यह कथा यह भी दर्शाती है कि भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को रक्षा सूत्र बांधने की सलाह देकर उनकी सेना को विजयी बनाने में मदद की। ऐसा माना जाता है कि तभी से रक्षाबंधन पर रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई। 


3. जब इंद्र की पत्नी ने इंद्र को बांधा रक्षा सूत्र 


रक्षाबंधन का त्योहार केवल भाई-बहन के बीच ही नहीं बल्कि अन्य रिश्तों के बीच में मनाया जा सकता है। भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार जब दैत्य वृत्रासुर ने इंद्र का सिंहासन हासिल करने के लिए स्वर्ग पर चढ़ाई तो वृत्रासुर की ताकत को देखकर इंद्र चिंतित हो गए। इंद्र को यह चिंता थी कि वह वृत्रासुर को कैसे हरा सकते हैं क्योंकि वृत्रासुर एक बहुत ही ताकतवर असुर था।


इसी समय, इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने अपने तपोबल से एक रक्षा सूत्र तैयार किया। यह रक्षासूत्र इतना शक्तिशाली था कि यह किसी भी संकट से रक्षा कर सकता था। जिसके बाद इंद्राणी ने अपने पति इंद्र की कलाई पर यह रक्षा सूत्र बांध दिया।


कथा के अनुसार इसके बाद, इंद्र ने वृत्रासुर के साथ युद्ध किया और वह विजयी भी हुए। वृत्रासुर को हराने के बाद, इंद्र ने इंद्राणी को धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी रक्षा के लिए यह रक्षा सूत्र बहुत महत्वपूर्ण था।


कहा जाता है कि इसके बाद देवताओं ने युद्ध जीत लिया और उसी दिन से सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन मनाया जाता है। हालांकि, यह एकमात्र उदाहरण है जिसमें पत्नी ने अपने पति को राखी बांधी। लेकिन बाद में वैदिक काल में यह बदलाव आया और त्योहार भाई-बहन के रिश्ते में बदल गया।


इसके अलावा  रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ और अन्य कथाएं और पूजा मुहूर्त से लेकर रक्षा बंधन मनाने की विधि पर एक आर्टिकल भक्तवत्सल की वेबसाइट पर उपलब्ध है जहां आपको विस्तृत जानकारी मिल गई.

........................................................................................................
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे(Tera Kisne Kiya Shringar Sanware)

तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे ।

तेरा पल पल बीता जाए(Tera Pal Pal Beeta Jay Mukhse Japle Namah Shivay)

तेरा पल पल बीता जाए,
मुख से जप ले नमः शिवाय।

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार(Tera Ramji Karenge Bera Paar)

राम नाम सोहि जानिये,
जो रमता सकल जहान

तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे(Tere Bina Shyam Hamara Nahi Koi Re)

तेरे बिना श्याम,
हमारा नहीं कोई रे,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang