हिंदू धर्म में मां यमुना को केवल एक नदी नहीं बल्कि देवी के रूप में पूजा जाता है। वह सूर्यदेव की पुत्री और यमराज की बहन मानी जाती हैं। मान्यता है कि यमुना स्नान और उनके नाम का जप करने मात्र से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। भारत में यमुना माता के कई मंदिर हैं, लेकिन कुछ स्थल ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से प्रमाणिक माने जाते हैं। आइए जानते हैं ऐसे प्रमुख मंदिरों के बारे में।
1. यमुनोत्री मंदिर, उत्तरकाशी (उत्तराखंड)
यह मंदिर हिमालय की गोद में, 3,293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री को मां यमुना का आदि स्थान माना जाता है। मंदिर का निर्माण 1839 में टिहरी के महाराजा सुदर्शन शाह ने करवाया था, जिसे बाद में प्रताप शाह ने पुनर्निर्मित किया।
यहां यमुना के उद्गम स्थल "सप्तऋषि कुंड" तक जाने में कठिनाई होती है, इसलिए मुख्य पूजा यमुनोत्री मंदिर में ही होती है। यहां माता की मूर्ति काले संगमरमर की है, जो शक्ति और गहराई का प्रतीक मानी जाती है। मंदिर के पास ही गरम जल कुंड है, जिसमें श्रद्धालु चावल पकाकर प्रसाद चढ़ाते हैं। यहां हर साल अक्षय तृतीया को कपाट खुलते हैं और दिवाली पर बंद होते हैं।
2. यमुना देवी मंदिर, मथुरा (उत्तर प्रदेश)
मथुरा, भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि, यमुना जी की विशेष नगरी मानी जाती है। यहां विश्राम घाट के पास यमुना देवी का मंदिर स्थित है, जहां सफेद संगमरमर से बनी माता यमुना की प्रतिमा है। श्रद्धालु सुबह-सुबह यमुना स्नान के बाद इस मंदिर में आकर पूजा-अर्चना करते हैं। जन्माष्टमी, यम द्वितीया (भैया दूज), यमुना अष्टमी और पूर्णिमा के दिन यहां भारी भीड़ उमड़ती है।
3. कालिंदी देवी मंदिर, इटावा (उत्तर प्रदेश)
यमुना जी को उनके अन्य नाम कालिंदी से भी जाना जाता है। इटावा में यमुना के तट पर स्थित यह मंदिर उनका एक प्राचीन रूप माना जाता है। यहां का वातावरण अत्यंत शांत और सात्विक होता है। मंदिर में स्थानीय ग्रामीणों की आस्था विशेष रूप से जुड़ी हुई है। यमुना अष्टमी, छठ, और कार्तिक पूर्णिमा पर यहां भव्य पूजा और नदी महाआरती का आयोजन होता है।
4. यमुना मंदिर, दिल्ली (कश्मीरी गेट के पास)
यह मंदिर पुरानी दिल्ली के यमुना बाजार क्षेत्र में स्थित है, जहां कभी यमुना बहा करती थी। यमुना नदी से हटने के बावजूद यहां की आस्था अब भी बनी हुई है। मंदिर में यमुना देवी की परंपरागत पूजा होती है। हर साल यमुना जयंती और अष्टमी के अवसर पर यहां विशेष पूजा-पाठ, हवन और भजन संध्या का आयोजन किया जाता है।
शिव शम्भू सा निराला,
कोई देवता नहीं है,
श्री राम कथा की महिमा को,
घर घर में पहुँचाना है,
शिव शंकर भोलेनाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,
शिव शंकर डमरू धारी,
है जग के आधार,