माता काली को शक्ति, समय और विनाश की देवी माना जाता है। वे महाकाल की अर्धांगिनी हैं और जब भी पृथ्वी पर पाप और अधर्म बढ़ता है, तब वे उग्र रूप धारण कर राक्षसों का नाश करती हैं। भारत में काली माता की उपासना विशेष रूप से बंगाल, असम, ओडिशा और दक्षिण भारत में होती है। देशभर में उनके कई ऐसे भव्य और ऐतिहासिक मंदिर हैं, जहां शक्ति साधना, तांत्रिक पूजा और भक्तिपूर्वक आराधना होती है।
1. कालीघाट काली मंदिर, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है। मान्यता है कि यहां सती के दाहिने पैर की उंगली गिरी थी। यह मंदिर कोलकाता की पहचान बन चुका है। काली पूजा और अमावस्या पर यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
2. दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
हुगली नदी के किनारे स्थित यह मंदिर रानी रासमणि ने 19वीं सदी में बनवाया था। यहां भवतारिणी रूप में माता की पूजा होती है। यह स्थान रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद की साधना स्थली भी है।
3. कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी (असम)
नीलाचल पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है। माता कामाख्या को महाकाली का उग्र रूप माना जाता है। अंबुबाची मेला के समय यहां विशेष तांत्रिक साधनाएं होती हैं।
4. तारापीठ मंदिर, बीरभूम (पश्चिम बंगाल)
यहां माता काली तारा के रूप में पूजित हैं। तांत्रिक उपासना का यह एक प्रमुख स्थान है। मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट तांत्रिक क्रियाओं और रात्रि साधना के लिए प्रसिद्ध है।
5. पावागढ़ कालिका माता मंदिर, गुजरात
यह मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है और शक्ति पीठों में गिना जाता है। मान्यता है कि यहां सती का दाहिना पैर गिरा था। रोपवे के जरिये भक्त माता के दर्शन के लिए पहाड़ी पर पहुंचते हैं।
6. झंडेवाला देवी मंदिर, दिल्ली
दिल्ली का यह प्रसिद्ध मंदिर झंडेवालान बाजार में स्थित है। यहां नवरात्रि में विशेष पूजा और भंडारे आयोजित होते हैं। भक्तगण यहां माता के सौम्य और उग्र दोनों रूपों की आराधना करते हैं।
7. महामाया देवी मंदिर, रायपुर (छत्तीसगढ़)
छत्तीसगढ़ की कुलदेवी मानी जाने वाली महामाया देवी काली का ही स्वरूप हैं। यह मंदिर प्राचीन नगरी रतनपुर में स्थित है और शक्ति साधना के लिए विशेष माना जाता है।
8. कृपामयी काली मंदिर, हुगली (पश्चिम बंगाल)
यह नवशिखर वाला भव्य मंदिर माता के कृपामयी स्वरूप को समर्पित है। यह मंदिर आस्था, वास्तुकला और भक्तिभाव का सुंदर संगम है। अमावस्या और काली पूजा पर यहां विशेष भीड़ रहती है।
9. खिचिंग मंदिर, ओडिशा
ओडिशा का यह मंदिर काली माता के किचकेश्वर स्वरूप को समर्पित है। यह मंदिर काले ग्रेनाइट पत्थर से बना है और तांत्रिक पूजा का एक प्रसिद्ध केंद्र है।
10. हैदराबाद कालीबाड़ी मंदिर, तेलंगाना
यह मंदिर बंगाली समाज द्वारा संचालित है। यहां काली पूजा, दुर्गा पूजा और अमावस्या की रातों में विशेष आयोजन होते हैं। यह दक्षिण भारत में काली उपासना का एक प्रमुख स्थल है।
लोक आस्था का महापर्व चैती छठ सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह 4 दिनों तक चलता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है।
छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि महापर्व है, जो चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है। ये पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में।
हिंदू धर्म में आस्था और सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व चैती छठ को माना जाता है। छठ पूजा साल में दो बार कार्तिक और चैत्र माह में मनाई जाती है। कार्तिक छठ की तुलना में चैती छठ को कम लोग मनाते हैं, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी उतना ही खास है।
छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास में और दूसरा शारदीय मास में। हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व है। छठ पूजा को त्योहार के तौर पर नहीं, बल्कि महापर्व के तौर पर मनाया जाता है।