मनमोहन तुझे रिझाऊं,
तुझे नित नए लाड़ लड़ाऊं,
बसा के तुझे नैनन में,
छिपा के तुझे नैनन में ॥
गीत बन जाऊं तेरी,
बांसुरी के स्वर का,
इठलाती बलखाती,
पतली कमर का,
पीला पटका बन जाऊं,
पीला पटका बन जाऊं,
बसा के तुझे नैनन में,
छिपा के तुझे नैनन में ॥
घुँघरू बनूँ जो तेरी,
पायल का प्यारे,
पल पल चूमा करूँ,
चरण तुम्हारे,
तेरे संग संग नाचूँ गाऊं,
बसा के तुझे नैनन में,
छिपा के तुझे नैनन में ॥
राधिका किशोरी संग,
रमण तुम्हारा,
मुझ को दिखा दो कभी,
ऐसा नज़ारा,
फिर चाहे मैं मर जाऊं,
फिर चाहे मैं मर जाऊं,
बसा के तुझे नैनन में,
छिपा के तुझे नैनन में ॥
मनमोहन तुझे रिझाऊं,
तुझे नित नए लाड़ लड़ाऊं,
बसा के तुझे नैनन में,
छिपा के तुझे नैनन में ॥
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषि: श्रीसीतारामचन्द्रो देवता अनुष्टुप् छन्द: सीता शक्ति: श्रीमद्हनुमान् कीलकम् श्रीसीतारामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोग:॥
ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः ।
श्मशान-कालिका काली भद्रकाली कपालिनी ।
मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:। स्थिरासनो महाकाय: सर्व-कर्मावरोधकः॥1॥