मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री,
कैसो चटक रंग डारो,
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
औरन को अचरा ना छुअत है,
औरन को अचरा ना छुअत है,
या की मोहि सो,
या की मोहि सो लग रही लाग री,
या की मोहि सो लग रही लाग री,
कैसो चटक रंग डारों,
श्याम मोरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
मो सो कहतो सुन्दर नारी,
मो सो कहतो सुन्दर नारी,
ये तो मोही सो,
ये तो मो हि सो खेले फाग री,
ये तो मो हि सो खेले फाग री,
कैसो चटक रंग डारो,
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
बल बल दास आस ब्रज छोड़ो,
बल बल दास आस ब्रज छोड़ो,
ऐसी होरी में,
ऐसी होरी में लग जाये आग री,
ऐसी होरी में लग जाये आग री,
कैसो चटक रंग डारों,
श्याम मोरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री,
कैसो चटक रंग डारो,
श्याम मोरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,
कैसो चटक रंग डारों ॥
वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। ये कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी का पूजन एक साथ किया जाता है।
वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इसे कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। यह कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले आता है और देव दिवाली से भी संबंधित है।
हिंदू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है।
सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही विश्वेश्वर व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है। इस व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से रखा जाता है।