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गणेश जी की 2 पत्नियां और 2 पुत्र थे, मिलिए गणपति जी के परिवार से

गणेश जी की 2 पत्नियां और 2 पुत्र थे, मिलिए गणपति जी के परिवार से

रिद्धी-सिद्धि के दाता गणेश जी भगवान शिव के परिवार में छोटे बेटे हैं। शिव परिवार या यूं कहें कि गणपति जी के घर में सभी एक-दूसरे से विपरीत मिजाज के लोग हैं। लेकिन फिर भी प्रेम और स्नेह की कोई कमी नहीं है।


आइए भक्त वत्सल की गणेश चतुर्थी स्पेशल सीरीज ‘गणेश महिमा’ में आज हम आपकी मुलाकात भगवान गणपति जी के परिवार से करवाते हैं। 


भगवान भोलेनाथ - देवाधिदेव महादेव भगवान शंकर गणेश जी के पिता हैं। वे जगत पिता भी हैं और संसार में संहारक की भूमिका में हैं।


मां पार्वती - जगत जननी मां गौरी गजानन गणपति महाराज की मां है। 


कार्तिकेय - मयूर वाहन पर सवार भगवान कार्तिकेय गणेश जी के बड़े भाई हैं। हालांकि सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा भी उनके भाई हैं, लेकिन पुराणों में इनका उल्लेख कम है।


अशोक सुंदरी - गणेश जी की बहन का नाम अशोक सुंदरी है। हालांकि महादेव कि और भी पुत्रियां हैं जो नागकन्याओं में शामिल हैं। उनके नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि है। लेकिन अशोक सुंदरी को भगवान शिव और पार्वती की पुत्री बताया गया है जिनका विवाह राजा नहुष से साथ हुआ था।


गणेश जी की पत्नियां - गणेश जी की 2 पत्नियां हैं, जिनका नाम ऋद्धि और सिद्धि है। 

 

गणेश जी के पुत्र - गणेश जी के पुत्रों के नाम लाभ और शुभ है। पोते आमोद और प्रमोद हैं।


भगवान गणेश जी के बारे में कुछ और बातें

  • गणेश जी जल तत्व के अधिपति हैं। 
  • गणेश जी को लाल रंग के फूल सबसे ज्यादा पसंद है।
  • गणपति बप्पा की सबसे प्रिय वस्तु में दूर्वा और शमी-पत्र शामिल हैं।
  • दुष्टों के संहार के लिए गणपति के पास प्रमुख अस्त्र के रूप में पाश और अंकुश है।
  • गणेश जी सिंह, मयूर और मूषक की सवारी करते हैं। 
  • सतयुग में गणेश जी सिंह, त्रेतायुग में मयूर, द्वापर युग में मूषक पर विराजमान हुए थे। 
  • कहा जाता है कि कलियुग में वे घोड़े की सवारी करेंगे।
  • प्रसाद में गणेश जी को बेसन और मोदक के लड्डू सबसे पसंद हैं।
  • गणेश जी की प्रार्थना के लिए गणेश स्तुति, गणेश चालीसा, गणेश जी की आरती, श्रीगणेश सहस्रनामावली, पुराण, संकटनाशन गणेश स्तोत्र, गणपति अथर्वशीर्ष, गणेशकवच, संतान गणपति स्तोत्र, ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र, मयूरेश स्तोत्र आदि श्रेष्ठतम है।
  • गणेश जी के 12 प्रमुख नाम सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन है। 
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कालाष्टमी व्रत तिथि 2025

हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। यह दिन भगवान काल भैरव की पूजा के रूप में मनाया जाता है।

अपरा एकादशी की तिथि 2025

सनातन धर्म में एकादशी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। इसे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। हिंदू धर्म में हर एकादशी का व्रत अलग-अलग नाम और महत्व के साथ आता है, उनमें से एक अपरा एकादशी है।

अपरा एकादशी व्रत कथा

अपरा एकादशी का व्रत जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा का दिन होता है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु के समर्पण और कृपा प्राप्त करने के सर्वोत्तम दिन के रूप में जाना जाता है।

अपरा एकादशी राशि परिवर्तन

इस साल अपरा एकादशी 23 मई 2025 को मनाई जाएगी। यह तिथि विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती है।

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