सनातन धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। जैसे मंगलवार का दिन हनुमान जी को, गुरुवार विष्णु भगवान को और शनिवार शनि देव को। ठीक उसी तरह सप्ताह का पहला दिन यानी सोमवार भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन शिव जी के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शिव जी की पूजा करने से जातकों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर सोमवार ही भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे खास क्यों माना गया है? दरअसल, इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथाएं छिपी हैं। ऐसे में आइए जानते हैं सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए इतना खास क्यों माना जाता है।
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होने का कारण इस दिन के नाम में ही है। दरअसल सोमवार शब्द दो हिस्सों में बंटा है - 'सोम' यानी चंद्रमा और 'वार' यानी दिन। चंद्रमा को संस्कृत में सोम कहा जाता है और भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा विराजमान हैं। यही वजह है कि सोमवार का संबंध सीधे शिव जी से जुड़ जाता है। इसके अलावा, सोमवार शब्द में जब हम उच्चारण करते हैं तो उसमें 'ॐ’ की ध्वनि भी होती है और भगवान शिव को ओंकार स्वरूप माना गया है। यही कारण है कि सोमवार का दिन शिव पूजा के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्र देव को एक श्राप के कारण रोग हो गया था। इससे परेशान होकर उन्होंने भगवान शिव की आराधना की और सोमवार के दिन उपवास रखकर शिवलिंग का जलाभिषेक किया। भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें रोगमुक्त होने का वरदान दिया। तभी से यह माना जाता है कि सोमवार को शिव पूजा करने से सारी परेशानियां दूर होती हैं और आरोग्यता प्राप्त होती है।
दूसरी एक कथा ये भी है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 16 सोमवार का व्रत रखा था। उन्होंने कठोर तप किया और भोलेनाथ को प्रसन्न किया। तब जाकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसलिए लड़कियां अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए और विवाहित महिलाएं अपने परिवार की खुशहाली के लिए सोमवार का व्रत रखती हैं।