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छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस क्यों कहते हैं

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस क्यों कहते हैं

Chhoti Diwali Katha: नरकासुर वध से जुड़ी है छोटी दिवाली की कथा, यहां जानिए क्यों कहा जाता है इसे नरक चतुर्दशी और रूप चौदस 

Chhoti Diwali 2025 Narkasur Katha: हिंदू धर्म में हर साल दिवाली से एक दिन पहले चतुर्दशी तिथि पर छोटी दिवाली मनाई जाती है। जिसे कुछ धार्मिक घटनाओं के अनुसार नरक चतुर्दशी और रूप चौदस भी कहा जाता है। इस दिन स्नान, दान, दीपदान और लक्ष्मी गणेश की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने असुर नरकासुर का वध कर धरती को उसके आतंक से मुक्त किया था। वहीं इस दिन सुबह जल्दी उठकर तेल से स्नान तथा सुंदरता की कामना करने की परंपरा के कारण इसे रूप चौदस भी कहा जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी और रूप चौदस क्यों कहा जाता है। 

नरकासुर वध कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है पृथ्वी पर नरकासुर नामक राक्षस का अत्याचार बढ़ गया था। नरकासुर ने इंद्रलोक पर भी आक्रमण कर वहाँ से कीमती रत्न और इंद्रदेव का ऐरावत हाथी तक छीन लिया। इसके अलावा उसने 16 हजार महिलाओं को भी बंदी बना लिया। 

तब सभी देवताओं ने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की और उन्होंने देवी सत्यभामा के साथ देवताओं के कष्टों को समाप्त करने संकल्प लिया। फिर उन्होंने छोटी दिवाली पर नरकासुर राक्षस का वध किया और तभी से इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। 

रूप चौदस कथा

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध करने के बाद अपने शरीर से रक्त के धब्बों मिटाने के लिए अभ्यंग स्नान किया था। उन्होंने अपना सौंदर्य वापस पाने के लिए ऐसा किया और तब से यह एक रिवाज बन गया, जिसे रूप चौदस के नाम से जाना जाता है। 

ऐसा माना जाता है कि इस दिन अभ्यंग स्नान करने से कष्टों का नाश होता है और बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, 

शरीर-मन दोनों की पवित्रता बनी रहती है। महिलाएं इस दिन विशेष रूप से सौंदर्य साधना करती हैं, घर की सफाई करती हैं और शाम को दीपदान करती हैं।

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