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संतान प्राप्ति के लिए जितिया व्रत में करें ये उपाय

संतान प्राप्ति के लिए जितिया व्रत में करें ये उपाय

Jitiya Vrat 2025 Upay: क्या आपकी भी है संतान प्राप्ति की कामना, तो जितिया व्रत में करें ये उपाय 

आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आने वाला जितिया व्रत विशेष रूप से संतान सुख प्राप्ति और उनके कल्याण के लिए जाना जाता है, जो इस साल 14 सितंबर को मनाया जाएगा। यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार-झारखंड में श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। यह व्रत महिलाओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र जीवन के लिए किया जाता है और ऐसा माना जाता है कि जिनके बच्चे नहीं हैं उन्हें भी इस व्रत के आशीर्वाद से संतान की प्राप्ति होती है। ऐसे में धर्मशास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ उपाय करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है।  

जीमूतवाहन देव की पूजा मिलता है संतान सुख 

जितिया व्रत का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है जीमूतवाहन देवता की पूजा। धार्मिक कथा के अनुसार, जीमूतवाहन महाराज ने एक नागपुत्र की रक्षा के लिए स्वयं का बलिदान दिया था। उनकी निस्वार्थ भावना और साहस से गरुड़ देव प्रसन्न हुए और उन्हें असीम आशीर्वाद दिया। उस समय से महिलाएं जीमूतवाहन देव की पूजा करती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे सभी के बच्चों की रक्षा करते हैं। साथ ही, वह बच्चों को जीवन-दान देते हैं, जैसा उन्होंने नागपुत्र को दिया था। 

पीपल के वृक्ष की करें परिक्रमा 

हिंदू शास्त्रों में पीपल के पेड़ को अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है। जितिया व्रत के दिन पीपल के पेड़ के नीचे पूजा करना और दीपक जलाना विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पीपल की पूजा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और संतान की प्राप्ति में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन महिलाएँ पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करके संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करती हैं।

दान देने के बाद ही करें जितिया व्रत का पारण 

  • जिन महिलाओं को संतान नहीं है, उन्हें इस दिन व्रत के सभी नियमों का पालन करते हुए निर्जला व्रत अवश्य करना चाहिए। 
  • अष्टमी की रात को श्रीकृष्ण और जीमूतवाहन देव के नाम पर दो दीये जलाएं। 
  • पूजा में लाल या पीले वस्त्र पहनें क्योंकि इन्हें शुभ माना जाता है। 
  • इस वर्ष 15 सितंबर को, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को दान देने के बाद ही जितिया व्रत का पारण करें। 

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