Jyeshtha Amavasya 2025: ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार विशेष महत्व रखती है। यह तिथि न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अहम होती है, बल्कि इस दिन शनि देव की पूजा और पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले उपाय भी बहुत प्रभावी माने जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ अमावस्या का क्या महत्व है और इसका संबंध शनि देव से कैसे जुड़ा हुआ है।
ज्येष्ठ अमावस्या का दिन शनि देव से जुड़ा हुआ माना जाता है क्योंकि यह दिन अक्सर शनिवार को पड़ता है और शनि देव को अमावस्या तिथि प्रिय मानी जाती है। हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता कहा गया है, जो कर्मों के अनुसार फल देने वाले हैं। यदि कोई व्यक्ति शनि की दशा या साढ़े साती से परेशान हो, तो इस दिन विशेष उपाय करके शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकता है। इस दिन शनि मंदिरों में विशेष पूजा होती है, इस दिन शनि महाराज को तेल चढ़ाया जाता है। वहीं, इस दिन काले तिल और काली वस्तुओं का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही, ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और गरीबों को भोजन कराने से शनि के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या को पितृ तर्पण और पिंडदान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृलोक का द्वार खुलता है और पूर्वजों की आत्मा अपने वंशजों से तर्पण की अपेक्षा करती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है, तो वह इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और गंगा जल से स्नान कर तर्पण करें। इससे लाभ मिल सकता है। इसके साथ ही इस दिन जल में तिल डालकर पितरों के नाम पर जल अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
ज्येष्ठ अमावस्या पर गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा, यमुना या किसी तीर्थ स्थल में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो ऐसे में आप घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन किए गए दान-पुण्य का फल कई गुना अधिक मिलता है। खासकर काला वस्त्र, काले तिल, उड़द की दाल, लोहे की वस्तुएं और तेल का दान शनि देव को प्रसन्न करता है। इसके अलावा गरीबों को अन्न, वस्त्र और छाता दान करना भी शुभ माना गया है।
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