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पूर्व में अति समृद्धशाली सौराष्ट्र के नाम से पहचाने जाने वाले गुजरात में नवरात्रि का माहौल एक दम अलग होता है। यहां के 33 जिलों और 252 तालुकों की सभी गलियां और सड़कें दुर्गा पूजा के रंग में रमी होती हैं और भक्तिमय गीतों से माहौल सराबोर होता है। ऐसे में आपको अरब सागर के किनारे बसे इस राज्य में मां के पावन और प्रमुख स्थलों के दर्शन जरूर करना चाहिए, क्योकि कहा जाता है कि नवरात्रि में इन स्थानों के दर्शन अति सौभाग्य शाली व्यक्तियों को ही मिल पाते हैं, जानते हैं कौनसे वो प्रसिद्ध देवी स्थल।
अरावली पर्वत की श्रृंखलाओं में अंबाजी माता मन्दिर या अरासुरी अंबाजी मन्दिर स्थित है। गुजरात और राजस्थान की सीमा पर स्थित ये दिव्य मंदिर भारत में माता शक्ति के 52 शक्तिपीठों में प्रधान पीठ भी माना जाता है। गुजरात का अंबाजी मंदिर बनासकांठा जिले में स्थित है। माँ अंबाजी को समर्पित इस मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं है बल्कि यहां 'श्री यंत्र' की पूजा होती है। श्री यंत्र एक पवित्र ज्योति का प्रतीक है, जिसे देवी का निवास स्थल माना जाता है। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं और लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर में नवरात्रि के दिनों में देवी की विशिष्ट रूप से आराधना भी की जाती है और यह स्थल दुर्गा भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र बना रहता है।
यह विशाल मंदिर वडोदरा से 50 किलोमीटर दूर पावागढ़ की पहाड़ियों पर मौजूद है और इसे 08 करोड़ वर्ष प्राचीन माना जाता है। साथ ही इस मंदिर को शक्तिपीठों में भी स्वीकार किया जाता है। यहाँ विकराल रूप में शक्ति और पराक्रम की देवी मानी माँ चामुंडा विराजती हैं। पावागढ़ मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को पहाड़ी की दुर्गम चढ़ाई करनी पड़ती हैं या फिर वे रोपवे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। नवरात्रि के समय यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है। इसलिए यह मंदिर नवरात्रि में भक्तों से भरा रहता है। यह मंदिर अपने प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्त्व के कारण पर्यटकों और श्रद्धालुओं के भी लिए भी महत्वपूर्ण बन जाता है।
माँ बहुचरा देवी का मंदिर बहुचराजी कस्बे में स्थित है और यह भी गुजरात के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ की देवी व्रतधारियों और साधकों की विशेष रूप से सुनती हैं और उन्हें मनचाहा वरदान भी देती हैं। इस मंदिर का आकर्षण नवरात्रि के दौरान देखते ही बनता है। यहां विशेष अनुष्ठान आयोजित होते हैं। बता दें कि यह मंदिर विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रसिद्ध है जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से ग्रस्त होते हैं और इससे सदा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं।
उमिया माता का मंदिर पाटीदार समुदाय की कुलदेवी के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर गुजरात के गांधीनगर के उंझा शहर में स्थित है और विशेष रूप से नवरात्रि के समय इसका धार्मिक प्रभाव बढ़ जाता है। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष अनुष्ठान और हवन होते हैं, जिनमें पाटीदार समाज के लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। मंदिर के अनोखे शिल्प और यहां विधि-विधान से होने वाले धार्मिक अनुष्ठान इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बना देते हैं।
राजकोट में स्थित यह मंदिर खोडियार माता को समर्पित है। ये देवी गुजरात के कई गाँवों और कस्बों में पूजनीय हैं। नवरात्रि के समय यहाँ खास आयोजन किए जाते हैं। जिनमें माँ कई तरह के विशेष हवन और अनुष्ठान पूर्ण होते हैं। खोडियार माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से लोग यहाँ आते हैं। इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व नवरात्रि के समय अपने चरम पर होता है जब ढेरों श्रद्धालु यहां देवी के दर्शन के लिए आते हैं।
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