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देश के टॉप 10 मां सरस्वती मंदिर

देश के टॉप 10 मां सरस्वती मंदिर

ये हैं देश के 10 सबसे बड़े मां सरस्वती मंदिर, कहीं अक्षराभ्यास की परंपरा तो कही नवरात्रि पर होते हैं विशेष आयोजन

माता सरस्वती को वेदों की देवी, ज्ञान, बुद्धि, संगीत और कला की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। वसंत पंचमी और नवरात्र जैसे अवसरों पर इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। भारत में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं जहां मां सरस्वती की उपासना होती है और छात्र, कलाकार और विद्वान विशेष श्रद्धा से दर्शन हेतु पहुंचते हैं। आइए जानें देश के 10 प्रमुख सरस्वती मंदिरों के बारे में:

1. सरस्वती मंदिर, पुष्कर (राजस्थान)

पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर के समीप स्थित यह मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित है। यहां वसंत पंचमी के दिन विशेष पूजा और विद्यारंभ संस्कार होता है।

2. शारदा पीठ, कश्मीर (अब पीओके में)

यह प्राचीन मंदिर 18 महाशक्ति पीठों में एक है। मान्यता है कि यहां सती की सरस्वती (जीभ) गिरी थी। यह वर्तमान में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित है।

3. शारदा मंदिर, श्रृंगेरी (कर्नाटक)

आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित यह मंदिर दक्षिण भारत का प्रमुख ज्ञानपीठ है। यहां मां को शारदा रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर विद्या की देवी के साथ सांस्कृतिक गुरुकुल परंपरा का केंद्र भी है।

4. कोट्टायम सरस्वती मंदिर, केरल

यह मंदिर ‘विद्यारंभ’ संस्कार के लिए प्रसिद्ध है। नवरात्र और विजयादशमी पर यहां हजारों माता-पिता अपने बच्चों को पहला अक्षर लिखवाते हैं।

5. सरस्वती मंदिर, बसर (तेलंगाना)

यह दक्षिण भारत का एकमात्र प्रमुख मंदिर है जो मां सरस्वती को समर्पित है। गोदावरी नदी के किनारे स्थित इस मंदिर में ‘अक्षराभ्यास’ की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।

6. श्री शारदा मंदिर, धारवाड़ (कर्नाटक)

यह मंदिर कर्नाटक संगीत और शास्त्रीय शिक्षा से जुड़ा प्रमुख स्थल है। यहां संगीतकार और छात्र बड़ी संख्या में आकर मां का आशीर्वाद लेते हैं।

7. विद्या सरस्वती मंदिर, गुवाहाटी (असम)

कामाख्या मंदिर परिसर में स्थित यह मंदिर विद्या की देवी को समर्पित है। वसंत पंचमी पर यहां विशेष पूजा आयोजित होती है।

8. शारदा मंदिर, होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)

नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह मंदिर विद्या की देवी के प्रति ग्रामीण और शहरी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।

9. शारदा माता मंदिर, मैसूर (कर्नाटक)

यहां नवरात्र में विशेष रूप से बालिकाओं के लिए ‘विद्यारंभ’ संस्कार और संगीत प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं।

10. सरस्वती मंदिर, त्रिची (तमिलनाडु)

यह मंदिर देवी के दक्षिण भारतीय रूप को समर्पित है। यहां प्राचीन काल से गुरुकुलों और विद्वानों का आना-जाना रहा है।
 

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भवसागर तारण कारण हे (Bhava Sagara Tarana Karana He)

भवसागर तारण कारण हे ।
रविनन्दन बन्धन खण्डन हे ॥

भवानी मैया शारदा भजो रे (Bhawani Maiya Sharda Bhajo Re)

भवानी मैया शारदा भजो रे,
शारदा भजो रे,

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला (Bhaye Pragat Kripala Din Dayala)

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।

भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए (Bheja Hai Bulava Tune Shera Waliye)

भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए
ओ मैया तेरे दरबार,

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