Jyeshtha Month 2025 Upay: धन की प्राप्ति के लिए ज्येष्ठ माह में कर लें ये उपाय, दूर होगी पैसों की किल्लत
ज्येष्ठ माह हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना होता है, जिसे जेठ भी कहा जाता है। इस माह की शुरुआत हर साल मई में होती है, और इस साल यह 13 मई 2025 से शुरू हो रहा है। इस समय सूर्य अपनी पूरी ताकत के साथ चमकता है, जिससे गर्मी अपने चरम पर होती है। ज्येष्ठ माह को खासतौर पर धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है, और इस महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार आते हैं। यह माह भगवान विष्णु के पूजन के लिए भी विशेष रूप से प्रिय होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह में व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। इस समय में दान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस माह में पंखे, जूते-चप्पल, खीरा, सत्तू और अन्न का दान करना चाहिए। इन दानों से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं, और व्यक्ति के जीवन में उन्नति और सुख-शांति आती है। इसके अलावा, इस महीने में कुछ खास उपायों को करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं ज्येष्ठ माह में किए जाने वाले खास उपायों के बारे में...
जल दान और अन्य उपाय
इस माह में गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है, इसलिए इस दौरान जल और भोजन का दान करना भी शुभ माना जाता है। ज्येष्ठ माह में हर मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करना और उन्हें उनकी प्रिय चीजों को अर्पित करना बहुत लाभकारी होता है। इससे कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
ज्येष्ठ माह में पूजा और मंत्र जाप
भगवान विष्णु की पूजा इस महीने में खास रूप से करनी चाहिए। इसके साथ ही मां लक्ष्मी और शिव जी की पूजा भी करनी चाहिए। इन देवताओं के मंत्रों का जाप करने से मन शांत रहता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय तिल का दान करने से अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है और जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
कुछ जरूरी सावधानियां
ज्येष्ठ माह में कुछ गलतियों से बचना भी जरूरी है। इस समय दिन में सोना अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। इसके अलावा, इस महीने में बड़े पुत्र या पुत्री की शादी करना भी उचित नहीं माना जाता। मांस और मदिरा का सेवन इस समय बिल्कुल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह माह पवित्रता और संयम का प्रतीक है।
जनवरी 2025 से कुंभ मेले की शुरुआत संगम नगरी प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे शानदार नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं। अब जब कुंभ की बात हो रही है, तो नागा साधुओं की बात जरूर होगी ही। यह मेले का मुख्य आकर्षण होते है, जो सिर्फ कुंभ मेले के दौरान ही दिखाई देते है।
हिंदुओं के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम महाकुंभ की शुरुआत में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। पहला शाही 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर होने वाला है। इसमें सबसे पहले नागा साधु स्नान करेंगे।
नागा साधु को महाकुंभ का आकर्षण माना जाता है, जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनका शाही स्नान में महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि इन्हें आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन को मन, शरीर और आत्मा के संतुलन बनाने के लिए उचित माना जाता है।