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हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत पूर्ण रूप से भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना करने से जातक को जीवन में सभी प्रकार के दुख एवं संकट से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस व्रत को करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है, जो कि सूर्यास्त के बाद का समय होता है।
मार्गशीर्ष महीने में भी दो प्रदोष व्रत रखे जाएंगे। पहला प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा, जबकि दूसरा प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। ऐसे में आइये जानते हैं ये दोनों व्रत किस तारीख को रखे जाएंगे, साथ ही जानेंगे इस दिन के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के बाद मार्गशीर्ष का महीना शुरू हो जाता है। ऐसे में इस बार मार्गशीर्ष माह की शुरुआत 16 नवंबर से हो गई है। साथ ही इसका समापन अगले महीने यानी 15 दिसंबर को होगा।
मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मार्गशीर्ष महीने का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी जो अगले दिन यानी 29 नवंबर को सुबह 08 बजकर 39 मिनट तक जारी रहेगी। इस प्रकार 28 नवंबर को मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 05 बजकर 24 मिनट से लेकर 08 बजकर 06 मिनट तक है। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा।
मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मार्गशीर्ष मास का दूसरा प्रदोष व्रत रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 12 दिसंबर को रात 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी जो अगले दिन यानी 13 दिसंबर को रात 07 बजकर 40 मिनट तक जारी रहेगी। इस प्रकार 12 दिसंबर को प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 05 बजकर 26 मिनट से लेकर 07 बजकर 40 मिनट तक है।
मार्गशीर्ष महीने के प्रदोष व्रत का महत्व बहुत अधिक है। इस महीने में प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा-
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