मोक्षदा एकादशी पर कैसे करें तुलसी पूजन

मोक्षदा एकादशी पर करें तुलसी चालीसा का पाठ, मिलेगा श्री हरि का आशीर्वाद


शास्त्रों मोक्षदा एकादशी का व्रत बेहद मंगलकारी माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है और यह सबसे पावन दिनों में से एक माना जाता है। श्री हरि के भक्त इस दिन उनकी विशेष आराधना करते हैं और उनके लिए उपवास रखते हैं। कहते हैं कि इस दिन तुलसी पूजन भी अवश्य करना चाहिए। तो आइए इस आलेख में विस्तार से जानते हैं कि मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां तुलसी को प्रसन्न करने के लिए किन नियमों और विधियों का पालन करना चाहिए।


जानिए मोक्षदा एकादशी का महत्व


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत अत्यंत मंगलकारी और पवित्र होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से व्यक्ति के पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि तुलसी का इस दिन विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं। यही कारण है कि तुलसी पूजन को इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।


जानिए क्या है पूजा विधि


  1. सुबह जल्दी उठें: इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. तुलसी पूजन करें: तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें और देसी घी का दीपक जलाएं।
  3. सामग्री अर्पित करें: तुलसी के पौधे पर लाल चुनरी, नारियल, फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें।
  4. तुलसी चालीसा का पाठ: तुलसी चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती से पूजा समाप्त करें।
  5. विष्णु पूजा करें: भगवान विष्णु के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और उन्हें पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें।


कब मनाई जाएगी मोक्षदा एकादशी? 


पंचांग के अनुसार इस वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।


तुलसी चालीसा पाठ के लाभ


तुलसी चालीसा का पाठ मोक्षदा एकादशी के दिन अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस चालीसा का पाठ करने से भक्त के सभी संकट दूर हो जाते हैं और सौभाग्य का आगमन होता है।


तुलसी चालीसा के दोहे


श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।


पूरी तुलसी चालीसा का पाठ


शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसी की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।
यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।


मोक्षदा एकादशी का लाभ


बता दें कि मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा विधिपूर्वक करने से दोनों की असीम कृपा प्राप्त होती है। उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को धन-धान्य और सुख-समृद्धि से आप भरपूर बना सकते हैं। इसके कई अन्य लाभ भी हैं जो इस प्रकार हैं। 

  1. इस व्रत के पालन से घर में शांति और समृद्धि आती है।
  2. आर्थिक संकट दूर होते हैं।
  3. सोया हुआ भाग्य जागृत हो जाता है।
  4. व्यक्ति के पाप कर्म नष्ट होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

........................................................................................................
श्री शाकम्भरी चालीसा (Shri Shakambhari Chalisa)

बन्दउ माँ शाकम्भरी, चरणगुरू का धरकर ध्यान ।
शाकम्भरी माँ चालीसा का, करे प्रख्यान ॥

हे गणनायक जय सुखदायक (Hey Gananayak Jai Sukhdayak)

हे गणनायक जय सुखदायक,
जय गणपति गणराज रे,

बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला (Bada Hai Dayalu Bhole Nath Damaru Wala)

बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला,
जिनके गले में विषधर काला,

भगवत गीता चालीसा ( Bhagwat Geeta Chalisa )

प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ | हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ ||१||

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।