कलावा, जिसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, एक पवित्र धागा है जो विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है। इसे आमतौर पर सूती धागे से बनाया जाता है और इसे लाल, पीला या अन्य शुभ रंगों में रंगा जाता है। कलावा को देवी-देवताओं को अर्पित करने के साथ-साथ उनके आशीर्वाद के रूप से भी धारण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कलावा व्यक्ति को बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। यह शुभता का प्रतीक है और माना जाता है कि यह व्यक्ति के सभी कार्यों में सफलता लाता है। अब ऐसे में हाथ में कलावा पहनने का महत्व और नियम के साथ-साथ विधि क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी से विस्तार से जानते हैं।
अगर आप कलावा पहने रहें हैं, तो मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें।
लाल रंग का कलावा, जो आमतौर पर हाथ में बांधा जाता है, देवी दुर्गा और हनुमान जी की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह माना जाता है कि यह व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और शुभ फल लाता है।
हाथ में बंधा लाल कलावा, देवी दुर्गा और हनुमान जी की कृपा का प्रतीक है। यह न केवल व्यक्ति को शक्ति प्रदान करता है बल्कि उसके जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। लाल रंग का कलावा, जो देवी दुर्गा और हनुमान जी से जुड़ा है, एक पवित्र धागा है।
गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए साधना की जाती है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्र का पर्व बहुत ही शुभ माना जाता है। ये देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा के लिए समर्पित है।
साल में चार नवरात्रि पड़ती है। गुप्त नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा देवी के भक्तों के लिए बुहत खास होता है।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का काफी महत्व है। ऐसे में आषाढ़ नवरात्र की शुरुआत 6 जुलाई 2024 से हो रही है जिसका समापन 15 जुलाई को होगा।