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कर्नाटक के जिन पांच देवी मंदिर का जिक्र हम कर रहे हैं वे सांस्कृतिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और मंदिरों की धार्मिक महत्ता नवरात्रि के दौरान पर्यटकों और भक्तों को आकर्षित करती है। इन मंदिरों में आकर भक्त देवी के आशीर्वाद के साथ-साथ कर्नाटक की सांस्कृतिक धरोहर और सुंदरता का भी आनंद उठा सकते हैं। नवरात्रि के अवसर पर कर्नाटक के मंदिरों में विशेष उत्सव का आयोजन होता है। इन मंदिरों की आध्यात्मिक महत्ता, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और धार्मिक गतिविधियां यहां के पर्यटन को खास बनाती हैं।
कर्नाटक अपनी सांस्कृतिक विविधता, ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक महत्व के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यहां की समृद्ध परंपराएं, स्थानीय भाषा, पहनावा और खानपान राज्य को भारत के अन्य राज्यों से अलग बनाता है। इस राज्य की भौगोलिक विशेषताएं भी इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करती हैं जहां पहाड़ियां, नदियां, समुद्र और मंदिरों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। खासकर नवरात्रि के दौरान यहां के देवी मंदिरों में भक्तों और पर्यटकों का तांता लगा रहता है। जो नवरात्रि के उत्सव की महिमा को कई गुना बढ़ा देते हैं। तो आइए आपको लेकर चलते हैं कर्नाटक की यात्रा पर..
1.श्री शारदम्बा मंदिर:- श्रृंगेरी, चिकमगलूर जिले में स्थित श्री शारदम्बा मंदिर कर्नाटक के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है, जिसे 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था। यह मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित है, जो ज्ञान और विद्या की देवी मानी जाती हैं। मंदिर का स्थापत्य और वास्तुकला कर्नाटक की धार्मिक संस्कृति और इतिहास को दर्शाता है। नवरात्रि के समय यहां विशेष पूजा और उत्सवों का आयोजन किया जाता है, जिसमें 11 दिनों तक बड़े पैमाने पर उत्सव मनाया जाता है। देशभर से भक्त यहां देवी सरस्वती का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। यह मंदिर शिक्षा और विद्या की महत्ता को भी उजागर करता है, जो इसे और भी खास बनाता है। श्रृंगेरी स्थित शारदम्बा मंदिर की सबसे खास बात है ये है कि यहां प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड संबंधी नियम हैं।
2.कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर:- उडुपी जिले में स्थित ये मंदिर देवी मूकाम्बिका को समर्पित है। जिन्हें शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि ये मंदिर उन सात धामों में से एक है जिन्हें परशुराम द्वारा निर्मित किया गया था। यहां आने वाले भक्त अपनी समस्याओं, कष्टों और कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए देवी की पूजा करते हैं। नवरात्रि के बाद विजयादशमी के दिन हजारों भक्त यहां अक्षराभ्यास यानी शिक्षा की शुरुआत का अनुष्ठान करने आते हैं। इस मंदिर की आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता इसे एक विशेष तीर्थस्थल बनाती है।
3.चामुंडेश्वरी मंदिर:- चामुंडी हिल्स, मैसूर में स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर देवी दुर्गा के चामुंडेश्वरी रूप को समर्पित है। जो असुर महिषासुर का वध करने वाली देवी के रूप में जानी जाती हैं। यह मंदिर मैसूर से लगभग 13 किलोमीटर दूर चामुंडी पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है। मैसूर के राजा देवी के विशेष भक्त थे और यह मंदिर आज भी उनकी धार्मिक धरोहर का हिस्सा है। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष आयोजन होते हैं और देवी को विशेष पूजा अर्पित की जाती है। चामुंडी पहाड़ियों की मनोरम दृश्यावली और देवी की भव्य मूर्ति इस मंदिर को और भी खास बनाती हैं। पर्यटक यहां आकर देवी के दर्शन के साथ-साथ पहाड़ियों का आनंद भी लेते हैं।
4.अम्मा मंदिर स्थान:- बागलकोट जिले में स्थित ये मंदिर देवी बनशंकरी अम्मा को समर्पित है। जो इस क्षेत्र की स्थानीय देवी मानी जाती हैं और उन्हें ग्रामीणों द्वारा विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है। मान्यता है कि यह मंदिर 7वीं शताब्दी का है और इसका नाम बन-शंकरी, यानी जंगलों की देवी से लिया गया है। नवरात्रि के समय यहां विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। यह मंदिर अपनी पारंपरिक स्थापत्य कला और धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यहां के नवरात्रि उत्सव में दूर-दूर से लोग देवी के आशीर्वाद लेने आते हैं और उत्सव की धूम देखते हैं।
5.दुर्गा परमेश्वरी मंदिर:- मंगलुरु के पूर्व में कटील में स्थित दुर्गा परमेश्वरी मंदिर नंदिनी नदी के एक द्वीप पर स्थित है। देवी दुर्गा परमेश्वरी को समर्पित यह मंदिर प्राकृतिक रूप से निर्मित है। मंदिर के स्तंभों पर भी कई सुंदर मूर्तियां हैं। बता दें कि दुर्गा परमेश्वरी मंदिर कर्नाटक के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जो देवी दुर्गा को समर्पित है। मंदिर की भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता इसे पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनाती हैं। नवरात्रि के समय, यहां भव्य और धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। विजयादशमी के दिन यहां विशेष रूप से दुर्गा पूजा होती है।
बताते चलें कि नवरात्रि दरअसल देवी दुर्गा की पूजा का प्रमुख त्योहार है जो पूरे भारत में मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित होता है। कर्नाटक में स्थित देवी मंदिर इस त्योहार की भव्यता को और भी खास बना देते हैं। भक्तवत्सल की विशेष सीरीज में हम आपको नवरात्रि की शुरुआत की महत्ता और नौ देवियों के साथ दस महाविद्या, सप्त मातृका की कथा को विस्तार से बता चुके हैं जिन्हें आप हमारी वेबसाइट Bhaktvatsal.com के नवरात्रि विशेष सेक्शन में जाकर पढ़ सकते हैं।
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