महाकुंभ का अगला पवित्र स्नान माघ पूर्णिमा के दिन 12 फरवरी को है। पूर्णिमा के दिन स्नान और दान को हमेशा से हिंदू धर्म में शुभ माना गया है।हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत ज्यादा महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर लोग व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में माघ पूर्णिमा में स्नान ध्यान और दान हेतु शुभ मुहूर्त और समय के बारे में जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा 11 फरवरी को शाम 06 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी। उदयातिथि के अनुसार 12 फरवरी को ही माघ पूर्णिमा का स्नान किया जाएगा। इसके साथ चंद्रोदय संध्याकाल 05 बजकर 59 मिनट पर होगा।
माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। अमृत काल शाम 05 बजकर 55 मिनट से 07 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इसके साथ विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से 03 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप किसी भी प्रकार का शुभ काम कर सकते हैं, लेकिन दान-पुण्य के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता है।
माघ पूर्णिमा के दिन सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण भी हो रहा है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त भी बन रहा है। पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना अत्यधिक शुभ होता है। 12 फरवरी के दिन सुबह 5 बजकर 19 मिनट से सुबह 6 बजकर 10 मिनट के बीच स्नान किया जा सकता है। यह ब्रह्म मुहूर्त का स्नान होगा। ब्रह्म मुहूर्त में ही दान भी किया जा सकता है। पूर्णिमा के दान में जरूरतमंदों को दाल, चावल, तिल, कंबल, किताबें या पहनने के कपड़े दिए जा सकते हैं।
ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा।।
जय सिया राम
हे ! हे !..
हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन खान-पान से जुड़े कुछ खास उपाय किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पौष मास हिंदू पंचांग का दसवां महीना है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। यह महीना 13 जनवरी तक रहेगा, जिसके बाद माघ महीने की शुरुआत होगी।
पौष मास को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। सूर्यदेव के कन्या राशि में आने पर होने वाले मुख्य पितृ पक्ष के अलावा इस माह में भी श्राद्ध तथा पिंडदान के अलावा भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा का भी विशेष महत्व है।