हिंदू धर्म में पांच विशेष दिन माने गए हैं जिन्हें अबुझ मुहूर्त कहा जाता है। इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किया जा सकता है।
अबुझ मुहूर्त विशेष दिन होते हैं जिनमें कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। इन दिनों में मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती, जिससे वे बहुत सुविधाजनक होते हैं। ये दिन विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, सगाई जैसे मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अबुझ मुहूर्त पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है जो इन दिनों में किए गए शुभ कार्यों को सफल बनाती है।
हिंदू धर्म में पांच विशेष दिन माने गए हैं जिन्हें अबुझ मुहूर्त कहा जाता है। इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किया जा सकता है। ये दिन हैं वसंत पंचमी, फुलेरा दूज, अक्षय तृतीया, विजयादशमी और देवउठनी एकादशी। इन दिनों को सिद्ध मुहूर्त माना जाता है और विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों जैसे गृह प्रवेश, मुंडन, सगाई आदि के लिए भी शुभ माना जाता है। साल 2025 में भी ये अबुझ मुहूर्त विशेष महत्व रखते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, कुछ विशेष दिन होते हैं जिन्हें अबुझ मुहूर्त कहा जाता है। इन दिनों में कोई भी शुभ काम किया जा सकता है, बिना मुहूर्त देखे। आइए जानते हैं कि साल 2025 में कौन-कौन से दिन अबुझ मुहूर्त हैं:
1. बसंत पंचमी
2 फरवरी 2025, रविवार को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा जो एक अबुझ मुहूर्त है। इस दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे शादी या अन्य मांगलिक काम किए जा सकते हैं।
2. फुलेरा दूज
1 मार्च 2025, शनिवार को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बिना मुहूर्त देखे विवाह आदि जैसे कार्य किए जा सकते हैं। फुलेरा दूज फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होती है। इस दिन मथुरा में होली होती है।
3. अक्षय तृतीया
30 अप्रैल 2025, बुधवार को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी, जो एक अबुझ मुहूर्त है। हर साल वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया होती है।
4. विजयादशमी
2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा, जो एक अबुझ मुहूर्त है। विजयादशमी वह दिन है जब भगवान राम ने रावण पर विजय हासिल की थी। इसे भी एक सिद्ध मुहूर्त माना जाता है।
5. देवउठनी एकादशी
1 नवंबर 2025, शनिवार को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी जो एक अबुझ मुहूर्त है। इस दिन विवाह करना बहुत शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी पर ही भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं।
होली का त्योहार एकता, आनंद और परंपराओं का एक भव्य उत्सव है। इसलिए, इसकी धूम पूरी दुनिया में है। दिवाली के बाद यह दूसरे सबसे महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में जाना जाता है।
नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पावन पर्व है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं—चैत्र, आषाढ़, माघ और शारदीय नवरात्र।
नवरात्र की नौ दिनों की अवधि में नवदुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के साथ-साथ कलश स्थापना की जाती है।
कलश स्थापना को शुभता और मंगल का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कलश में जल को ब्रह्मांड की सभी सकारात्मक ऊर्जाओं का स्रोत माना गया है।