नवीनतम लेख
सनातन धर्म में वैशाख महीने का बहुत ही अधिक धार्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने वैशाख महीने को सबसे श्रेष्ठ महीनों में से एक बताया है। ऐसा कहा जाता है कि यह महीना भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। आपको बता दें इस वर्ष वैशाख महीना 14 अप्रैल को शुरू हो रहा है और 13 मई को समाप्त हो रहा है।
ऐसी मान्यता है कि इस महीने में किए गए दान के पुण्य के बराबर कोई दूसरा पुण्य नहीं होता। ग्रंथों के अनुसार वैशाख महीने में अगर कोई जल दान करता है तो उस व्यक्ति को उन सभी तीर्थों का फल मिलता है, जो कठिन प्रयासों से प्राप्त होते हैं। आइए, इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों महत्वपूर्ण है यह महीना और क्या है इस महीने की कथा। पुण्य प्राप्त कर सकता है।
अगर हम स्कंदपुराण पढ़ें तो उसमें वैशाख मास को लेकर एक श्लोक लिखा हुआ है, जो इस प्रकार है:
न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंङ्गया समम्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि वैशाख महीने के समान कोई दूसरा महीना नहीं है। साथ ही सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है। दूसरी पंक्ति का अर्थ है कि वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई दूसरा तीर्थ नहीं है।
ज्योतिषों की मानें तो इस महीने को भगवान ब्रह्माजी ने सभी दूसरे महीनों में उत्तम सिद्ध किया है। उनके अनुसार यह महीना ठीक माता की तरह है। जिस तरह माता जी हमारी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं, उसी तरह इस महीने सभी लोगों की जो भी मनोकामनाएं या उनकी जो भी इच्छा होती है वह पूरी हो जाती है। साथ ही यह महीना भगवान विष्णु और देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने वाला है।
ऐसी मान्यता है कि इस महीने हमें सूर्यादय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए। वहीं, बिस्तर छोड़ने के बाद हमें सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय तक स्नान जरूर कर लेना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि अगर हम सूर्योदय से पहले स्नान कर लेते हैं तो हम रोगमुक्त रहते हैं और साथ ही हमारा स्वास्थ्य सही रहता है।
पौराणिक मान्यता है कि वैशाख महीने में यदि कोई व्यक्ति सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, तो वह भगवान विष्णु के लोक में प्रतिष्ठित होता है। जिसने प्याऊ लगाकर राहगीरों को पानी पिलाया, उसने सभी देवी-देवताओं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, पितरों और ऋषियों को संतुष्ट किया है।
ऐसा कहा जाता है कि अगर आप वैशाख महीने में किसी भी प्रकार का दान करते हैं तो आपको पुण्य की प्राप्ति होगी। साथ ही इससे आपका जीवन पहले के मुकाबले अधिक समृद्ध हो जाएगा और आपके जीवन में कोई भी परेशानी नहीं होगी।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।