प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में देश-विदेश से साधु-संत आ रहे हैं। इनमें से एक हैं मध्य प्रदेश के एंबेसडर बाबा। ये अपनी 52 साल पुरानी एंबेसडर कार से आए हैं और हर जगह इनकी कार ही सबसे ज्यादा लोगों को आकर्षित करती है। इसीलिए इन्हें एंबेसडर बाबा के नाम से जाना जाता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से एंबेसडर बाबा के बारे में जानते हैं।
महाकुंभ नगरी में एक ऐसा साधु पहुंचे हैं, जिनकी कहानी बेहद अनोखी है। इनका नाम है महंत राजगिरी, जिन्हें लोग अधिकतर 'एंबेसडर बाबा' के नाम से जानते हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर से आए ये बाबा हर कुंभ मेले में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं।
महंत राजगिरी ने दुनिया के सारे सुखों और परिवार को त्यागकर सन्यास का जीवन अपना लिया है। लेकिन, उनके पास एक ऐसी चीज है जिससे वे कभी अलग नहीं होते - एक पुरानी एंबेसडर कार। यह कार लगभग 52 साल पुरानी है और उन्हें करीब 30-35 साल पहले दान में मिली थी।
बाबा ने इस कार को ही अपना घर बना लिया है। वे इसी में खाते हैं, सोते हैं और यात्रा करते हैं। यह कार उनके लिए सिर्फ एक वाहन नहीं बल्कि एक साथी की तरह है। यही कारण है कि लोग उन्हें एंबेसडर बाबा के नाम से पुकारते हैं।
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में भी बाबा अपनी एंबेसडर कार के साथ ही आए हैं। संगम की धरती पर उनकी यह कार लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
एंबेसडर बाबा की जीवनशैली बेहद अनोखी है। उनके पास एक 1972 मॉडल की एंबेसडर कार है जिसे उन्होंने भगवा रंग में रंगवा रखा है। यह कार उनके लिए सिर्फ एक वाहन नहीं है, बल्कि उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। बाबा इसी कार में रहते हैं, यानी यहीं सोते हैं, खाते हैं और अपनी दिनचर्या पूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले चार साल से लगातार कुंभ मेले में आने-जाने के लिए भी उन्होंने इसी कार का उपयोग किया है। बाबा का मानना है कि यह कार उनके लिए एक घर की तरह है और उन्होंने इस पर बहुत प्यार लुटाया है।
मध्य प्रदेश के इंदौर निवासी एंबेसडर बाबा इन दिनों देश के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन, महाकुंभ में प्रयागराज के संगम तट पर अपनी कुटिया बनाकर रह रहे हैं। उन्हें लोग टॉर्जन बाबा के नाम से भी जानते हैं। बाबा की सबसे बड़ी खासियत है उनकी 52 साल पुरानी एंबेसडर कार, जिसे उन्होंने अपनी मां का दर्जा दिया है।
बाबा का कहना है कि उन्हें इस कार में एक अद्भुत आध्यात्मिक शांति और संतुष्टि मिलती है। इसीलिए उन्होंने इस कार का नाम एंबेसडर बाबा रख लिया है। उनकी यह कार न केवल उनका वाहन है बल्कि उनके लिए एक साथी और आस्था का केंद्र भी है। एंबेसडर बाबा की कहानी हमें सिखाती है कि आस्था और विश्वास किसी भी रूप में हो सकता है। बाबा ने अपनी कार को मां का दर्जा देकर एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। उनकी यह कहानी हमें अपने जीवन में छोटी-छोटी चीजों में खुशी खोजने और आध्यात्मिकता को अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
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