Logo

अन्नप्राशन संस्कार शुभ मुहूर्त जून 2025

अन्नप्राशन संस्कार शुभ मुहूर्त जून 2025

June 2025 AnnaPrashan Muhurat: जून में कराना चाहते हैं बच्चे का अन्नप्राशन संस्कार? यहां जानें शुभ तिथियां, मुहूर्त और नक्षत्र

हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों को जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव की आध्यात्मिक नींव माना गया है। इनमें से एक है अन्नप्राशन संस्कार, जो शिशु को पहली बार अन्न (ठोस भोजन) देने का विशेष अवसर होता है।

यह संस्कार न केवल बच्चे की शारीरिक पोषण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह परिवार द्वारा दिए गए आशीर्वादों और शुभकामनाओं से भी जुड़ा होता है। वैदिक परंपरा के अनुसार, अन्न को "प्राण" का प्रतीक माना गया है — इसीलिए यह संस्कार अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है।

जून 2025 अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ तिथियां

पंचांग के अनुसार, जून 2025 में निम्नलिखित तिथियों और मुहूर्तों में अन्नप्राशन संस्कार करना विशेष रूप से शुभ रहेगा:

5 जून 2025, गुरुवार

 शुभ मुहूर्त: सुबह 08:55 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक

 शुभ मुहूर्त: शाम 06:10 बजे से रात 10:35 बजे तक

नक्षत्र: हस्त

16 जून 2025, सोमवार

 शुभ मुहूर्त: सुबह 08:08 बजे से शाम 05:20 बजे तक

 नक्षत्र: धनिष्ठा

20 जून 2025, शुक्रवार

 शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:39 बजे से शाम 07:20 बजे तक

 नक्षत्र: रेवती

23 जून 2025, सोमवार

 शुभ मुहूर्त: शाम 04:58 बजे से रात 10:35 बजे तक

 नक्षत्र: रोहिणी

26 जून 2025, गुरुवार

 शुभ मुहूर्त: दोपहर 02:28 बजे से शाम 04:40 बजे तक

 शुभ मुहूर्त: शाम 07:06 बजे से रात 10:40 बजे तक

 नक्षत्र: पुनर्वसु

27 जून 2025, शुक्रवार

 शुभ मुहूर्त: सुबह 07:29 बजे से सुबह 09:40 बजे तक

 शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:09 बजे से शाम 06:50 बजे तक

 शुभ मुहूर्त: रात 09:07 बजे से रात 10:40 बजे तक

 नक्षत्र: पुष्य

अन्नप्राशन संस्कार क्यों आवश्यक है?

  • यह बच्चे के जीवन में ठोस भोजन की शुरुआत को दर्शाता है।
  • शिशु की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के साथ किया जाता है।
  • वैदिक मंत्रों और पूजन विधि के साथ किया गया अन्नप्राशन संस्कार आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
  • यह एक पारिवारिक उत्सव भी होता है, जिसमें सभी सदस्य मिलकर बच्चे को आशीर्वाद देते हैं।
  • अन्न को शुद्ध और सात्विक रूप में ग्रहण कराना इस दिन का मुख्य उद्देश्य होता है।

संस्कार के समय ध्यान देने योग्य बातें

  • शिशु की उम्र 6 महीने से अधिक होनी चाहिए और वह आहार लेने में सक्षम हो।
  • मुहूर्त चयन करते समय दिन, तिथि, नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाए।
  • पहली बार दिया जाने वाला आहार साफ और शुद्ध होना चाहिए, जैसे कि खीर या दलिया।
  • यह संस्कार मंदिर, घर या तीर्थ स्थल पर परिवार की उपस्थिति में विधिपूर्वक किया जा सकता है।

........................................................................................................
वैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इसे कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। यह कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले आता है और देव दिवाली से भी संबंधित है।

वैकुंठ चतुर्दशी पर पितृ तर्पण

हिंदू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है।

विश्वेश्वर व्रत कथा

सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही विश्वेश्वर व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है। इस व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से रखा जाता है।

चंदा सिर पर है जिनके शिव (Chanda Sir Par Hai Jinke Shiv)

चंदा सिर पर है जिनके,
कानो में कुण्डल चमके,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang