सनातन धर्म में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की भी पूजा की जाती है। साथ ही मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाता है। भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। आइए, शुभ मुहूर्त, महत्व एवं योग जानते हैं। इसके साथ ही जानते हैं कि मासिक जन्माष्टमी पर किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। अष्टमी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा निशा काल में होती है। इसलिए 20 फरवरी को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सबसे पहले लड्डू गोपाल को दक्षिणावर्ती शंख में पंचामृत डालकर उनका अभिषेक करें। इसके बाद कान्हा जी को पीले रंग के वस्त्र पहनाएँ और पीले फूलों से उनका श्रृंगार करें। पूजा के दौरान लड्डू गोपाल जी को तुलसी की माला अर्पित करें। अब प्रतिमा के सामने घी का एक दीपक जलाएं और 'ओम् नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के दौरान उन्हें खीर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं, जिससे साधक की धन संबंधित परेशानियाँ दूर हो सकती हैं। इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण को माखन और मिश्री बेहद प्रिय मानी गई है। ऐसे में मासिक जन्माष्टमी पर माखन और मिश्री का भोग लगाकर भी आप भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा में उन्हें मोर पंख भी अर्पित कर सकते हैं। इसके साथ ही अगर आपकी संतान के जीवन में कोई समस्या बनी हुई है, तो मासिक जन्माष्टमी के दिन संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें। इससे आपको स्थिति में लाभ देखने को मिलेगा।
भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मासिक जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन जो भी भगवान कृष्ण का पूजन और व्रत करता है, उसके सारे पापों का नाश हो जाता है। साथ ही मरने के बाद उसे मोक्ष मिलता है। इसके अलावा इस दिन कान्हा के पूजन से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
राम नवमी सुहानी मन भावनी,
राम जी को संग लेके आई,
राम पे जब जब विपदा आई,
कौन बना रखवाला,
शांति के दूत है हम
शांति के हैं हम पूजारी
रमतो भमतो जाय,
आज माँ नो गरबो रमतो जाय,