गर्भाधान संस्कार एक महत्वपूर्ण हिन्दू संस्कार है, जो एक सौभाग्यशाली और गुणवान संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह संस्कार हिन्दू शास्त्रों में वर्णित सोलह महत्वपूर्ण संस्कारों में प्रथम स्थान पर आता है और गर्भ-धारण के लिए शुभ समय पर किया जाता है। इस संस्कार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गर्भाधान एक आकस्मिक क्रिया न हो, बल्कि एक पूर्व नियोजित शुभ कार्य हो, जिसे धार्मिक शुद्धता के साथ संपन्न किया जाए।
गर्भाधान संस्कार का मुख्य उद्देश्य यह है कि पति-पत्नी का मिलन एक गुणवान और सौभाग्यशाली संतान प्राप्त करने के उद्देश्य से हो। यह संस्कार दोनों के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो उन्हें एक-दूसरे के साथ जुड़ने और एक सुंदर तथा स्वस्थ संतान को जन्म देने के लिए प्रेरित करता है। इस संस्कार के माध्यम से पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण प्रकट करते हैं तथा एक सुखी और समृद्ध परिवार की नींव रखते हैं। आइए, इस लेख में जानते हैं कि मार्च 2025 में गर्भाधान संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त कौन-से हैं।
(अन्य मुहूर्त इसी प्रकार सूचीबद्ध रहेंगे)
गर्भाधान के लिए कुछ विशेष तिथियां होती हैं, जिन्हें शुभ माना जाता है। इन तिथियों में गर्भाधान करने से स्वस्थ और गुणवान संतान प्राप्त होती है।
शुक्ल पक्ष:
कृष्ण पक्ष:
गर्भाधान के लिए कुछ विशेष दिन शुभ माने जाते हैं। इन दिनों में गर्भाधान करने से स्वस्थ और गुणवान संतान प्राप्त होती है।
गर्भाधान के लिए कुछ विशेष नक्षत्र शुभ माने जाते हैं। इन नक्षत्रों में गर्भाधान करने से स्वस्थ और गुणवान संतान प्राप्त होती है।
स्थिर नक्षत्र:
चल नक्षत्र:
सौम्य और मैत्रीपूर्ण नक्षत्र:
लघु नक्षत्र:
इन नक्षत्रों में गर्भाधान करने से आपको एक स्वस्थ और गुणवान संतान की प्राप्ति होती है।
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मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास ।
मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस ॥