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शारदीय नवरात्रि 2024: देश के इन राज्यों में दशहरे की अनोखी परंपराएं

शारदीय नवरात्रि 2024: देश के इन राज्यों में दशहरे की अनोखी परंपराएं

देश के इन राज्यों में अनोखे तरह से मनाया जाता है दशहरा, विदेशी लोग तक देखने आते


नवरात्रि का समापन नवमी तिथि को होता है और अगले दिन विजयादशमी या दशहरा मनाया जाता है। यह असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक त्योहार है। दशहरा देशभर में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। ज्यादातर जगहों पर इस दौरान रावण दहन की परंपरा है। लेकिन देश के विभिन्न राज्यों में दशहरा अपने-अपने तरीके से मनाया जाता है। इसके पीछे कहीं धार्मिक मान्यताएं हैं, तो कहीं अपनी क्षेत्रीय परंपराएं। चलिए भक्त वत्सल के इस लेख में जानते हैं भारत में कहा किस तरह मनाया जाता है दशहरा…


कुल्लू का दशहरा 


कुल्लू में दशहरे का उत्सव एक अनोखे अंदाज में मनाया जाता है जो देश के अन्य राज्यों से बहुत भिन्न है। यहां विजय दशमी पर रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि भगवान रघुनाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इसे देव मिलन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन घाटी के विभिन्न देवी-देवता एकत्रित होकर मिलते-जुलते हैं। कुल्लू का दशहरा, जिसे देवी-देवताओं का महाकुंभ भी कहा जाता है 7 दिनों तक चलता है। यह अपने आप में एक विशेष परंपरा है। 


कुल्लू में दशहरे की परंपरा भगवान रघुनाथ के आगमन से जुड़ी है। इसे राजा जगत सिंह ने शुरू किया था। भगवान राम के सम्मान में देवी-देवताओं के मिलन का प्रतीक यह त्योहार श्रद्धालुओं द्वारा देवी-देवताओं के दर्शन करने से शुरू होता है। विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन से संपन्न होता है।


इस दौरान ढालपुर मैदान में एक बड़ा मेला भी लगता है। दशहरे के पहले दिन भगवान श्री राम अपने मंदिर से ढालपुर के अस्थाई शिविर में आते हैं। फिर रथ यात्रा शुरू होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इसमें राज परिवार भी शामिल होता है और रीति-रिवाज को निभाता है। छठे दिन सभी देवी-देवता श्री राम से विदाई लेते हैं और सातवें दिन लंका दहन के साथ उत्सव का समापन होता है। 


इसके बाद भगवान रघुनाथ रथ यात्रा के बाद फिर रघुनाथपुर मंदिर लौट जाते हैं। कुल्लू का दशहरा धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है। यह व्यापारियों और पर्यटकों के लिए एक बड़ा विहंगम और अद्वितीय आयोजन हैं।


मैसूर


आप देश के सबसे बड़े दशहरा उत्सव में मैसूर को शामिल कर सकते हैं। कर्नाटक में दशहरे पर शाही जुलूसों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भरमार रहती है। इस दिन मैसूर पैलेस को सुंदर लाइटों से सजाया जाता है।


उत्तराखंड 


पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत सबसे विभिन्न तौर तरीकों के लिए प्रसिद्ध है। इसी क्रम में अल्मोड़ा का दशहरा देश ही नहीं दुनिया में प्रसिद्ध है। इसे भारत का तीसरा सबसे बड़ा दशहरा पर्व कह सकते हैं। मैसूर और कुल्लू-मनाली के दशहरे के बाद इसका स्थान अपनी अलग उत्सव धर्मिता के लिए आता है। अल्मोड़ा के दशहरे की खासियत यहां बनने वाले रावण मेघनाद और कुंभकर्ण के बड़े-बड़े पुतले हैं। इन पुतलों में क्राफ्ट वर्क बड़ा ही अद्भुत होता है।


अल्मोड़ा के हर मोहल्लों में रावण परिवार के पुतले बनाए और जलाए जाते हैं। विजयदशमी के दिन इन पुतलों को नगर में घुमाया जाता है और देर रात को उनका दहन किया जाता है। अलग-अलग मोहल्लों में रावण के पुतले बनते हैं और इनकी आपसी होड़ इस उत्सव में उल्लास और विराटता को बढ़ा देता है।


गुजरात


गुजरात की नवरात्रि और गरबा की तरह दशहरा भी बहुत विख्यात है। यहां गुजराती संस्कृति और कलाकारों की अथक मेहनत की छटा आप रावण के पुतलों और दशहरे की अन्य तैयारियों में साफ देख सकते हैं।


उत्तर भारत


उत्तर भारत में दशहरे का त्योहार रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों के दहन और रामलीला के मंचन के साथ मनाया जाता है। इस दौरान भगवान राम के जयकारों से माहौल गुंजायमान हो जाता है। दशहरे पर बड़ों का आशीर्वाद लेने की परंपरा भी उत्तर भारत के कई शहरों में हैं। यहां दशहरे को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। कई जगहों पर मेले का आयोजन भी होता है।


पश्चिम बंगाल


पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा के बाद में दशहरा बड़े जोर-शोर से मनाया जाता है। मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के बाद अगले दिन विजयदशमी मनाई जाती है। पश्चिम बंगाल में रावण के पुतले भी बहुत विशाल और विविध प्रकार के होते हैं।


बस्‍तर


छत्तीसगढ़ के बस्तर में दशहरे को मनाने की मान्यता जरा अलग है। यहां राम की रावण पर विजय के लिए विजयादशमी नहीं मनाई जाती। बल्कि मां दंतेश्वरी की आराधना को समर्पित एक पर्व के रूप में दशहरा मनाने की परंपरा हैं। दुर्गा स्वरूपा दंतेश्वरी माता बस्तर के लोगों की आराध्य देवी हैं। यहां यह पर्व पूरे 75 दिन यानी लगभग ढाई महीने तक चलता है। इसकी शुरुआत श्रावण मास की अमावस्या से होती है। इसका समापन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को ओहाड़ी पर्व से किया जाता है।


महाराष्ट्र 


महाराष्ट्र में दशहरे के दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है। इस दिन स्कूली बच्चे देवी का आशीर्वाद पाने के लिए मां सरस्वती के तांत्रिक चिह्नों की पूजा करते हैं। साथ ही विद्या आरंभ करने के लिए इसे बहुत शुभ दिन माना जाता है। महाराष्ट्र के लोग इस दिन विवाह, गृह-प्रवेश एवं नए घर खरीदने का शुभ मुहूर्त भी करते हैं।


तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश 


यहां दशहरा नौ दिनों तक चलता है। जिसमें तीन देवियां लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा की जाती है। यहां भी रावण दहन की परंपरा है। 

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