म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,
भाग म्हारो जागियो ॥
मरूधर देश समराथल भूमि,
गुरूजी दियो उपदेश ।
पीपासर में प्रकट भया,
आय सुधारयो बागड देश ॥ १ ॥
म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,
भाग म्हारो जागियो ॥
बीदे ने विराट दिखायो पुल्हे जी ने पाताल ।
उन्नतीस नियम सुणाय गुरूजी पायो म्हाने अमृत पाहल ॥ २ ॥
सांगा राणा और नरेषां,
परच्यो महमद खान ।
लोदी सिकन्दर ऐसो परच्यो,
पढणी छोड दी कुरान ॥ ३ ॥
म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,
भाग म्हारो जागियो ॥
चिम्पी चोलो उणरे तन रो पडियो जांगलु मांय ।
चिम्पी चोले रा दरसण करस्यां न्हावाला बरसिंगाली जाय ॥ ४ ॥
म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,
भाग म्हारो जागियो ॥
मोखराम बंगांली वालो,
हरिचरणा लवलीन ।
दास जाण म्हापे किरपा कीज्यो,
भक्ति में होऊ प्रवीण ॥ ५ ॥
म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,
भाग म्हारो जागियो ॥
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है।
हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है जो दो लोगों के साथ-साथ दो परिवारों को भी जोड़ता है। वैदिक शास्त्रों में कहा गया है कि शादी एक पवित्र रिश्ता है और इसे हमेशा शुभ समय पर किया जाना चाहिए। विवाह के लिए शुभ समय और तारीख का निर्धारण करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।
साल 2025 में अपने नन्हे मेहमान के आगमन के साथ आप उनके नामकरण संस्कार की तैयारी में जुट गए होंगे। यह एक ऐसा पल है जो न केवल आपके परिवार के लिए बल्कि आपके बच्चे के भविष्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह दोनों तिथियां भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।