कृपा करे रघुनाथ जी,
म्हने सत देवे सीता माता,
श्री बालाजी महाराज,
म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥
जगत पति रघुनाथ जी,
जग जननी सीता माता,
श्री सालासर महाराज,
म्हारे बल बुद्धि रा दाता,
कृपा करें रघुनाथ जी,
म्हने सत देवे सीता माता,
श्री बालाजी महाराज,
म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥
अन्न दाता रघुनाथ जी,
अन्न पूरण सीता माता,
श्री मेहंदीपुर महाराज,
म्हारे बल बुद्धि रा दाता,
कृपा करें रघुनाथ जी,
म्हने सत देवे सीता माता,
श्री बालाजी महाराज,
म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥
कृपा करे रघुनाथ जी,
म्हने सत देवे सीता माता,
श्री बालाजी महाराज,
म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥
एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।
एक समय समस्त प्राणियों का हित चाहने वाले मुनियों ने नैमिषारण्य बन में एक सभा की उस समय व्यास जी के शिष्य सूत जी शिष्यों के साथ श्रीहरि का स्मरण करते हुए वहाँ पर आये।
रविवार व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी। वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती।
समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत धनवान था। मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर लड़की संगीता से हुआ था।