Satyanarayan Vrat 2025 List : साल 2025 में कब-कब रखा जाएगा सत्यनारायण व्रत? जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि
सत्यनारायण व्रत एक पवित्र और शक्तिशाली धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भर देता है। सत्यनारायण व्रत का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक साधन है जो जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाने का एक शक्तिशाली माध्यम है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सत्यनारायण पूजा किसी भी शुभ कार्य के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है और इसे विशेष अवसरों पर किया जाता है जैसे कि पूर्णिमा, संकष्टी चतुर्थी, एकादशी, या विशेष मांगलिक अवसरों पर। पूजा का शुभ मुहूर्त प्रायः प्रदोष काल या चंद्रमा की वृद्धि वाले समय में होता है और इसे पंचांग के अनुसार शुभ तिथि और समय का चयन करके किया जाता है। आइये जानते हैं 2025 आने वाले सभी सत्यनारायण व्रतों के बारे में जानेंगे साथ ही इस व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में भी आपको बताएंगे।
साल 2025 में श्री सत्यनारायण पूजा की डेट
13 जनवरी 2025, सोमवार (पौष, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ -13 जनवरी, 05:03 AM
- पूर्णिमा समाप्त - 14 जनवरी 03:56 AM
12 फरवरी 2025, बुधवार (माघ, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ - 11 फरवरी 06:55 PM
- पूर्णिमा समाप्त - 12 फरवरी 07:22 PM
13 मार्च 2025, बृहस्पतिवार (फाल्गुन, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ - 13 मार्च 10:35 AM
- पूर्णिमा समाप्त - 14 मार्च 12:23 PM
12 अप्रैल 2025, शनिवार (चैत्र, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ - 12 अप्रैल, 03:21 AM
- पूर्णिमा समाप्त - 13 अप्रैल, 05:51 AM
12 मई 2025, सोमवार (वैशाख, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ -11 मई 08:01 PM
- पूर्णिमा समाप्त - 12 मई 10:25 PM
10 जून 2025, मंगलवार (ज्येष्ठ, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ - 10 जून, 11:35 AM
- पूर्णिमा समाप्त - 11 जून 01:13 PM
10 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार (आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ - 10 जुलाई 01:36 AM
- पूर्णिमा समाप्त - 11 जुलाई 02:06 AM
09 अगस्त 2025, शनिवार (श्रावण, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ -08 अगस्त, 02:12 PM
- पूर्णिमा समाप्त - 09 अगस्त, 01:24 PM
07 सितम्बर 2025, रविवार (भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ - 07 सितम्बर, 01:41 AM
- पूर्णिमा समाप्त - 07 सितम्बर, 11:38 PM
06 अक्टूबर 2025, सोमवार (आश्विन, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ - 06 अक्टूबर, 12:23 PM
- पूर्णिमा समाप्त - 07 अक्टूबर, 09:16 AM
05 नवम्बर 2025, बुधवार (कार्तिक, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ - 04 नवम्बर, 10:36 PM
- पूर्णिमा समाप्त - 05 नवम्बर 06:48 PM
04 दिसम्बर 2025, बृहस्पतिवार (मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा)
- पूर्णिमा प्रारम्भ - 04 दिसम्बर, 08:37 AM
- पूर्णिमा समाप्त - 05 दिसम्बर, 04:43 AM
घर पर ऐसे करे भगवान सत्यनारायण की पूजा
- यदि आप घर में सत्यनारायण जी की पूजा का आयोजन करती हैं तो आपको घर की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए।
- अपने घर की साफ-सफाई करें और उसे फूलों और रंगोली से सजाएं।
- अपने घर में पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ करने के बाद केले के पत्तों से सत्यनारायण जी का आसान तैयार करें।
- पूजा की सभी आवश्यक सामग्री, जैसे पूजा की थाली, दीया, अगरबत्ती, फूल, फल और मिठाई आदि इकट्ठा करें।
- पूजा में शामिल होने के लिए अपने परिवार और रिश्तेदारों को आमंत्रित करें और पंडित की उपस्थिति में इस पूजा का आयोजन करें।
- सत्यनारायण जी की कथा सुनें और साथ में भगवान का ध्यान करें।
- कथा के समापन के बाद सत्यनारायण जी की आरती करें और भोग लगाएं।
- भोग में पंजीरी और पंचामृत चढ़ाएं और सभी को वितरित करने के बाद स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
सत्यनारायण व्रत का महत्व
आध्यात्मिक महत्व
1. भगवान विष्णु की कृपा: सत्यनारायण व्रत भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक साधन है।
2. आध्यात्मिक शुद्धि: इस व्रत के दौरान उपवास और पूजा करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
3. मानसिक शांति: सत्यनारायण व्रत के दौरान पूजा और आरती करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
धार्मिक महत्व
1. पापों का नाश: सत्यनारायण व्रत के दौरान पूजा और उपवास करने से पापों का नाश होता है।
2. सुख-समृद्धि: इस व्रत के दौरान भगवान विष्णु की कृपा से सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
3. परिवार की सुख-समृद्धि: सत्यनारायण व्रत के दौरान पूजा और उपवास करने से परिवार की सुख-समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
सामाजिक महत्व
1. परिवार के साथ एकता: सत्यनारायण व्रत के दौरान परिवार के साथ एकता और सामंजस्य की भावना को बढ़ावा मिलता है।
2. सामाजिक सेवा: इस व्रत के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने से सामाजिक सेवा की भावना को बढ़ावा मिलता है।
3. धार्मिक एकता: सत्यनारायण व्रत के दौरान धार्मिक एकता और सामंजस्य की भावना को बढ़ावा मिलता है।
मेरे कंठ बसो महारानी,
ना मैं जानू पूजा तेरी,
मेरे लाडले गणेश प्यारे प्यारे
भोले बाबा जी की आँखों के तारे
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,