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क्या है गुप्त नवरात्रि का रहस्य ? जानें इससे जुड़ी रोचक बातें

क्या है गुप्त नवरात्रि का रहस्य ? जानें इससे जुड़ी रोचक बातें

गुप्त शब्द मतलब गोपनीय यानी छुपी हुई। एक ऐसी आराधना जिसमे माता की अलग तरह की तांत्रिक पूजा की जाती है। मुख्य नवरात्रि में शैलपुत्री और सिद्धिदात्री तक की पूजा की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी के तांत्रिक स्वरुपों में माता रानी की पूजा की जाती है। यह गुप्त नवरात्र साधारण जन के लिए नहीं होते हैं मुख्य रुप से इनका संबंध साधना और तंत्र के क्षेत्र से जुड़े लोगों से होता है। मुख्य नवरात्र में पूजा की समय ज्यादातर दिन में होता है तो वहीं गुप्त नवरात्र में रात्रि में तांत्रिंक साधनाएं की जाती है।


गुप्त नवरात्र का रहस्य


मां दुर्गा को शक्ति कहा गया है ऐसे में इन गुप्त नवरात्र में मां के सभी रुपों की पूजा की जाती है। देवी की शक्ति व्यक्ति को सभी संकटों से दूर करती है व विजयी का आशीर्वाद प्रदान करती है। गुप्त नवरात्र भी सामान्य नवरात्र की तरह दो बार आते हैं एक आषाढ़ माह में और दूसरे माघ माह में। इस नवरात्र में समय साधना और तंत्र की शक्तियों को बढ़ाने के लिए भक्त पूजा करते है। बंगलामुखी उपासना के लिए गुप्त नवरात्र का वक्त सबसे अच्छा होता है। इस नवरात्र में पीले वस्त्रों में एकांत जगह में बगलामुखी पूजा बहुत ही नियमपूर्वक और कठोर अनुशासन में की जाती है। गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना करने वाले दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशति का पाठ किया जाता है।


गुप्त नवरात्र और तंत्र साधना


गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं के पूजन को प्रमुखता दी जाती है। भागवत के अनुसार महाकाली के उग्र और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली 10 महाविद्याएं हुई हैं। भगवान शिव की ये महाविद्याएं सिद्धियां प्रदान करने वाली होती हैं। दस महाविद्या देवी के दस रुप कहे जाते हैं। हर महाविद्या अद्वितीय रुप लिए हुए प्राणियों के समस्त संकंटो का हरण करने वाली होती हैं।

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