Logo

पितृपक्ष में क्यां करें, क्या नहीं

पितृपक्ष में क्यां करें, क्या नहीं

पितृपक्ष में नहीं करना चाहिए मांसाहारी भोजन, नई वस्तुएं खरीदने पर भी रोक, जानिए क्या करें क्या न करें 


पूर्वजो के पिंडदान, श्रद्धा ओर तर्पण के लिये पितृ पक्ष का दिन सबसे महत्पूर्ण होता है। पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा की शान्ति मिलती है और उनका पिण्डदान, श्राद्ध, या तर्पण करते है तो पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशो को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते है।


कहा जाता है कि श्राद्धपक्ष के दौरान हमारे पितर सूर्य रश्मियों पर सवार होकर धरती पर अपने परिजनों के यहां आते हैं और शुक्ल प्रतिपदा को वापस अपने पितृलोक लौट जाते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान किया जाता है। मान्यता के अनुसार, जो लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान नहीं करते हैं उन्हें पितृदोष सहना पड़ता है। इसलिए पितृपक्ष के दौरान कुछ ऐसे कार्य है जो आपको करना चाहिए और  जो नहीं करना चाहिए।



पितृपक्ष में इन चीजों से बचना चाहिए


  • पितृ पक्ष के दौरान पूरे 15 दिनों तक पक्षियों को ना मारे और ना ही सताए।  
  • पितृ पक्ष के दिनों में मांसाहारी भोजन के अलावा कुछ शाकाहारी भोजन भी वर्जित रहता है जैसे प्याज, लहसुन, खीरा, सरसों का साग, चना इत्यादि ये सब नहीं खाए। 
  • पितृपक्ष के दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य बिल्कुल ना करें जैसे गृह प्रवेश, मुंडन, इत्यादि क्योंकि पितृ पक्ष में शोकाकुल का माहौल रहता है। इसलिए इन दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं रहता। 
  • पितृ पक्ष के दौरान नए कपड़े, जूते, नया वाहन और नया घर खरीदना वर्जित है।
  • बाल कटवाने, नाखून काटने और शेविंग से बचना चाहिए।
  • अत्यधिक उधारी या गैर-जरूरी खर्च इस अवधि के दौरान से बचना चाहिए। पितृ पक्ष के समय आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतना और अनावश्यक खर्चों से बचना उचित माना जाता है। यह समय आर्थिक स्थिरता और संतुलन बनाए रखने का होता है।


ये इन नियमों का पालन करना चाहिए 


  • श्राद्ध कर्म के अनुष्ठान में परिवार का सबसे बड़ा सदस्य, विशेष रूप से परिवार का सबसे बड़ा बेटा शामिल होना चाहिए। 
  • पितरों का श्राद्ध करने से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • कुश घास से बनी अंगूठी पहनें। कुश घास दया का प्रतीक है और इसका उपयोग पूर्वजों का आह्वान करने के लिए किया जाता है।
  • पिंड दान के एक भाग के रूप में जौ के आटे, तिल और चावल से बने गोलाकार पिंड को भेंट करें।
  • श्राद्ध के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए भोजन को कौवे को अर्पित करें क्योंकि इसे यम का दूत माना जाता है।
  • ब्रह्मणों को भोजन अर्पित करें और गंगा अवतराम, नचिकेता, अग्नि पुराण और गरुड़ पुराण की कथाओं का पाठ करें।
  • पितृपक्ष के दौरान शाम के समय सरसों के तेल या गाय के घी का दीपक जलाएं और जलाते समय दीपक का मुख दक्षिण की तरफ रखें।
  • पितृपक्ष में पितृ गायत्री मंत्र का जाप करें। इससे व्यक्ति को पितृदोष से छुटकारा मिल सकता है।
  • पितृ पक्ष के दौरान दान-पुण्य का महत्व अत्यधिक होता है। गरीबों, ब्राह्मणों, और जरूरतमंदों को दान करना, वस्त्र, अन्न, या पैसे देना उत्तम माना जाता है। 

........................................................................................................
चलो मम्मी-पापा चलो इक बार ले चलो (Chalo Mummy Papa Ik Baar Le Chalo)

चलो मम्मी चलो पापा चलो मम्मी चलो पापा
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो

चलो राम के धाम अयोध्या राम बुलाते है (Chalo Ram Ke Dham Ayodhya, Ram Bulate Hain)

श्री राम के भक्त सुनो,
ले भगवा हाथ में निकलो तुम

चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो (Chalo Shiv Shankar Ke Mandir Me Bhakto)

लिया नाम जिसने भी शिवजी का मन से,
उसे भोले शंकर ने अपना बनाया ।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang