उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। उत्पन्ना एकादशी की उत्पत्ति का उल्लेख प्राचीन भविष्योत्तर पुराण में मिलता है, जहां भगवान विष्णु और युधिष्ठिर के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद में इसका वर्णन किया गया है। इस त्योहार का महत्व अन्य शुभ अवसरों जैसे संक्रांति के बराबर माना जाता है, जहां भक्त दान और पुण्य कार्यों के माध्यम से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की आराधना के लिए समर्पित है।
मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस वर्ष यानी कि 2024 में उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर को मनाई जा रही है। ऐसे में उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखने से पहले व्रत के नियम, व्रत की विधि और क्या करें और क्या न करें इसके बारे में आपको बताते हैं।
हिंदू धर्म में धन कुबेर को संपत्ति और ऐश्वर्य के देवता के रूप में माना जाता है। कुबेर जी की कृपा से धन-वैभव में वृद्धि होती है और घर में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।
इस बार 29 अक्तूबर 2024 को धनतेरस का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहेगा। क्योंकि, इस दिन 100 साल बाद पांच शुभ संयोग एक साथ बनने जा रहे हैं।
धनतेरस में खरीदारी का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए राशिनुसार कुछ विशेष वस्तुएं खरीदना अत्यंत शुभ होता है।
धनतेरस का पर्व धन, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है। इस दिन यम नियम से वस्तुएं खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य और ऐश्वर्य निवास करता है।