सनातन धर्म में कलावा बांधने का काफ़ी महत्व है। इसे रक्षा सूत्र के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, हाथ पर कलावा बांधने की शुरुआत माता लक्ष्मी से जुड़ी हुई है। ऐसी मान्यता है कि इसको बांधने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और इंसान को ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हालांकि, इसे बांधते और उतारते समय कुछ नियम का पालन जरूरी है। ऐसा नहीं करने से कई तरह की समस्या आ सकती है। अगर आप नए साल से पहले कलावा को उतारना चाहते हैं तो इसके नियम आपको भी जान लेने चाहिए।
पौराणिक कथा के अनुसार पूजा-पाठ के दौरान हाथ में कलावा बांधने की शुरुआत धन की देवी मां लक्ष्मी से जुड़ी हुई है। इसकी शुरुआत मां लक्ष्मी और राजा बलि द्वारा की गई थी। माता लक्ष्मी ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु के प्राणों की रक्षा हेतु राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था। माना जाता है कि तभी से कलावा बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई।
अगर आप नए वर्ष से पहले कलावा को उतारना चाहते हैं तो इसके लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ है। हालांकि, ध्यान देने वाली बात ये है कि कलावा को उतारने के बाद इसे इधर-उधर नहीं फेकें। बल्कि, इसे किसी पवित्र नदी या जल में विसर्जित कर दें। अगर ऐसा संभव नहीं है, तो आप अपने कलावा को पीपल के पेड़ के नीचे भी रख सकते हैं।
भारत की सांस्कृतिक विविधता दिवाली के पर्व में भी स्पष्ट रूप से झलकती है। दिवाली का त्योहार भारतीय संस्कृति की विविधता का भी प्रतीक है।
दीपावली पर धन की देवी के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि, यश और वैभव आता है। ऐसे में हर व्यक्ति चाहता है कि वह माता लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करे।
दीपावली का पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इसे अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस दिन धन की देवी महालक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है।
दिवाली पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। सही विधि से पूजा करने और विशेष उपाय अपनाने से धन, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है। इससे आर्थिक तंगी दूर रहती है और माता लक्ष्मी जी की कृपा भी बनी रहती है।