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बुधवार पूजा विधि

बुधवार पूजा विधि

Budhwar Puja Vidhi: बुधवार के दिन इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा, जानें सही नियम और जरूरी उपाय


Budhwar Puja Vidhi: सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। जैसा कि आपको बता दें कि सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। इसी तरह मंगलवार को हनुमानजी की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि बुधवार को भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन कई लोग बुध देव की पूजा भी करते हैं। पंडितों के अनुसार बुधवार को विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से भक्तों के घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि बुधवार को किस पूजा विधि से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो चलिए शुरू करते हैं। 


बुधवार व्रत के लाभ

ऐसी मान्यता है कि बुधवार के दिन व्रत करने से व्यापार में तरक्की होती है और घर में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। साथ ही गजानन की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-शांति भी बनी रहती है। अगर आप भी बुधवार का व्रत सभी विधि-विधान के साथ करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए है। क्योंकि हम आपको बता रहे हैं कि बुधवार को किस विधि से पूजा-अर्चना करनी चाहिए।


बुधवार व्रत पूजा विधि

अगर आप भी बुधवार का व्रत शुरू कर रहे हैं तो उस दिन सबसे पहले सूर्योदय से पहले जाग जाएं और स्नान आदि कर तैयार हो जाएं। इसके बाद साफ हरे रंग का वस्त्र धारण कर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें। पूजा करने के लिए सबसे पहले घर के ईशान कोण में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी पूजा-अर्चना करें। इसके बाद भगवान के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और भगवान को हलवा, बेसन के लड्डू या पंजीरी का भोग लगाना चाहिए। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि गणेश जी को ये सभी भोग अत्यंत प्रिय है। भोग लगाने के बाद गणेश चालीसा का पाठ करें और उसके बाद आरती करें।


इन बातों का रखें विशेष रूप से ध्यान

अगर आप बुधवार का व्रत कर रहे हैं तो बुधवार के दिन नमक का सेवन करने से बचें। साथ ही बेटियों का अपमान कदापि न करें क्योंकि अगर आपने ऐसा किया तो भगवान गणेश गुस्सा हो सकते हैं। साथ ही बुधवार के दिन एक समय भी भोजन ग्रहण करें। आप दूध, फल आदि का सेवन कर सकते हैं।

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नारद जयंती 2025 तिथि-मुहूर्त

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नारद जयंती की कथा

हिंदू धर्म के महान ऋषि और भगवान विष्णु के परम भक्त, नारद मुनि की जयंती को 'नारद जयंती' के रूप में मनाया जाता है। यह दिन वैषाख मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पड़ता है, जो इस साल 13 मई को है।

वृषभ संक्रांति 2025 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, वृषभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं। वृषभ संक्रांति उस दिन को कहा जाता है जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।

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