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भगवान् शिवको नमस्कार

 भगवान् शिवको नमस्कार

भगवान् शिवको नमस्कार हिंदी अर्थ सहित

नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शङ्कराय च
मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च॥
ईशानः सर्वविज्यानां ईश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधि
पतिर्ब्रह्मणोऽधिपतिर्ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदा शिवोम॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यश्च सर्वेभ्यः
सर्वशर्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रुद्र रूपेभ्यः॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमो बलाय नमो बलप्रमथनाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः।
भवे भवे नातिभवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः॥
नम: सायं नमः प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा।
भवाय च शर्वाय चोभयाभ्यामकरं नमः॥
यस्य निःश्वसितं वेदा यो वेदेभ्योऽखिलं जगत।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यतीर्थं महेश्वरम्॥
त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
सर्वा वै रुद्रास्त्स्मै रुद्राय नमो अस्तु। पुरुषो वै रुद्रः सन्महो नमो नमः। विश्वं भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायमानं च यत्। सर्वं ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु॥

कल्याण एवं सुख के मूल स्रोत रूप भगवान् शिवको नमस्कार है। कल्याण के विस्तार करनेवाले तथा सुखके विस्तार करनेवाले भगवान् शिवको नमस्कार है। मण्डलस्वरूप और मण्डलमया की सीमा भगवान् शिवको नमस्कार है।

जो सम्पूर्ण विद्याओं के ईश्वर, समस्त भूतों के अधीश्वर, ब्रह्म-वेदके अधिपति, ब्रह्म-बल-वीर्यके प्रतिपालक तथा साक्षात् ब्रह्मा एवं परमात्मा हैं, वे सच्चिदानन्दमय शिव मेरे लिये नित्य कल्याणस्वरूप बने रहें।

तत्पदार्थ—परमेश्वररूप अन्तःयामी पुरुष को हम जानें, उन महादेव का चिन्तन करें, वे भगवान् रुद्र हमें सद्धर्मके लिये प्रेरित करते रहें।

जो अघोर हैं, घोर हैं, घोरसे भी घोरतर हैं और जो सर्वशक्तिरूप रुद्ररूप हैं, आपके उन सभी स्वरूपोंको मेरा नमस्कार है।
प्रभो! आप ही वामदेव, ज्येष्ठ, श्रेष्ठ, रुद्र, काल, कलविकरण, बलविकरण, बल, बलप्रमथन, सर्वभूतदमन तथा मनोनमन आदि मनोभसे प्रतिपालित होते हैं, इन सभी नाम-रूपों में आपके लिये मेरा बार बार नमस्कार है।

मैं सद्योजात (शिव) की शरण लेता हूँ। सद्योजातको मेरा नमस्कार है। किसी जन्म या जगत में मेरा अनुभव—पराभव न करें। आप भवोद्भवको मेरा नमस्कार है।

हे रुद्र! आपको सायंकाल, प्रातःकाल, रात्रि और दिनमें भी नमस्कार है। मैं भवदेव तथा रुद्रदेव दोनोंको नमस्कार करता हूँ।

वेद जिनके निःश्वास हैं, जिन्होंने वेदोंसे सारी सृष्टिके रचना की और जो विद्याओंके तीर्थ हैं, ऐसे शिवकी मैं वन्दना करता हूँ।

तीन नेत्रवाले, सुगन्धयुक्त एवं पुष्टि के वृद्धक शंकर को हम पूजन करते हैं, वे शंकर सभी दुःखों से जैसे छुड़ाते हैं, वैसे मृत्यु के बन्धन से अपने-आप छूट जाता है, किन्तु वह शंकर हमें भक्षिता से छुड़ाएं।

वे रुद्र उमापति वही सब शरीरों में जीव स्वरूप प्रविष्ट हैं, उनके निमित्त हमारा प्रणाम हो। प्रसिद्ध एक अद्वितीय रुद्र ही पुरुष है, वह ब्रह्मलोक में ब्रह्मारूप से, प्रजापतिलोक में प्रजापति रूप से, सूर्यमण्डल में वैराटरूपसे तथा देहमें जीवस्वरूपे स्थित हुआ है; उस महान सच्चिदानन्द रूप रुद्र को बारबार प्रणाम हो। समस्त चराचरात्मक जगत जो विद्यमान है, हो गया है तथा होगा, वह सब प्रभु रुद्रसे सत्तासे भिन्न नहीं हो सकता, यह सब कुछ रुद्र ही है, इसलिये प्रति प्रणाम हो।

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शुक्र की चाल से 3 राशियों को लाभ

इस साल की चैत्र नवरात्रि बहुत ही खास होने वाली है, क्योंकि इस साल शुक्र और बृहस्पति का खास संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धन और भोग विलास के प्रतीक शुक्र, अपने प्रतिकूल गुरु बृहस्पति के नक्षत्र "पूर्वाभाद्रपद" में प्रवेश करने वाले हैं।

नवरात्रि में खास संयोग से धन लाभ

हर साल चैत्र नवरात्रि बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। मगर साल 2025 की चैत्र नवरात्रि बहुत ही खास है क्योंकि इस अवसर पर तीन महत्वपूर्ण शुभ संयोग बनने वाले हैं।

नवरात्रि से एक दिन पहले सूर्य सूर्यग्रहण

इस साल चैत्र नवरात्रि के एक दिन पहले, 29 मार्च को सूर्य ग्रहण लग रहा है, जो साल का पहला सूर्य ग्रहण है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण से कई राशियों में भी बदलाव देखने को मिलता है।

नवरात्रि में खान-पान के नियम

नवरात्रि भारत में बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मां दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित है, और इस दौरान लोग व्रत रखते हैं। व्रत का उद्देश्य केवल भूखा रहना नहीं, बल्कि शरीर और मन की शुद्धि भी होता है।

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