नवीनतम लेख
राजा राम आइये,
प्रभु राम आइये,
मेरे भोजन का,
भोग लगाइये ॥
आचमनी अर्घा आरती,
यही यहाँ मेहमानी,
रुखी रोटी पाओ प्रेम से,
पियो नदी का पानी,
राजा राम आइयें,
प्रभु राम आइये,
मेरे भोजन का,
भोग लगाइये ॥
भूल करोगे यदि तज दोगे,
भोजन रुखे सुखे,
एकादशी आज मन्दिर में,
बैठे रहोगे भूखे,
राजा राम आइयें,
प्रभु राम आइये,
मेरे भोजन का,
भोग लगाइये ॥
राजा राम आइये,
प्रभु राम आइये,
मेरे भोजन का,
भोग लगाइये ॥
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।