इस विधि से करें प्रभु श्रीराम की पूजा, क्या-क्या सामग्री करनी चाहिए शामिल 
प्रभु श्रीराम हिंदू धर्म के आदर्श पुरुष और भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उन्हें रामचन्द्र, रघुकुलनायक, और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में भी पूजा जाता है। श्रीराम का जीवन मर्यादा, सत्य, धर्म और आदर्शों का प्रतीक है, और उनका व्यक्तित्व सभी धर्मों और संस्कृतियों में आदर्श माना जाता है। प्रभु श्रीराम ने जीवन में हर समय धर्म और सत्य का पालन किया। उन्होंने अपने व्यक्तिगत सुखों की परवाह न करते हुए अपने पिता के वचन को प्राथमिकता दी और 14 वर्षों का वनवास स्वीकार किया। 
श्रीराम ने अपने परिवार, मित्रों और भक्तों के प्रति अपार प्रेम और श्रद्धा दिखाई। वे हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए सभी के साथ उचित व्यवहार करते थे। अब ऐसे में प्रभु श्रीराम की पूजा किस विधि से करने से उत्तम परिणाम मिल सकती है। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
प्रभु श्रीराम की पूजा के लिए सामग्री
 
श्रीराम की प्रतिमा 
- फूल
 - फल
 - अक्षत
 - दीपक
 - धूप
 - चंदन
 - रोली
 - नारियल
 - सुपारी
 - पान का पत्ता
 - तुलसी का पत्ता
 - गंगाजल
 - पंचामृत
 - कलश
 - पूजा की थाली
 
प्रभु श्रीराम की पूजा किस विधि से करें? 
- प्रभु श्रीराम की पूजा एक पवित्र अनुष्ठान है जो भक्ति और श्रद्धा से किया जाता है। यह पूजा न केवल आध्यात्मिक लाभ देती है बल्कि मन को शांति और सुख भी प्रदान करती है।
 - पूजा शुरू करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 - एक साफ-सुथरा स्थान चुनें और वहां भगवान राम की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
 - आसन बिछाकर बैठें और ध्यान लगाएं।
 - भगवान राम को अपने मन में निमंत्रित करें।
 - मूर्ति या चित्र को पंचामृत से स्नान कराएं।
 - भगवान को साफ वस्त्र अर्पित करें।
 - चंदन और रोली से तिलक लगाएं।
 - प्रभु श्रीराम को नैवद्य अर्पित करें। 
 - प्रभु श्रीराम के मंत्रों का जाप करें। 
 - आखिर में प्रभु की आरती करें। 
 
प्रभु श्रीराम की पूजा का महत्व
प्रभु श्रीराम, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। उन्हें आदर्श पुरुष, महान योद्धा और धर्म के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।  रामायण के अनुसार, श्रीराम ने रावण जैसे असुर राजा का वध करके अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक स्थापित किया। रामचरितमानस में वर्णित उनके जीवन ने सत्य, न्याय और कर्तव्यनिष्ठा के महत्व को रेखांकित किया। श्रीराम को 'मर्यादा पुरुषोत्तम' कहा जाता है, अर्थात सभी मर्यादाओं का पालन करने वाले। श्रीराम की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। उनकी कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है।
पूजा के दौरान करें प्रभु श्रीराम के मंत्रों का जाप 
पूजा करने के दौरान प्रभु श्रीराम के मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। 
- ऊं श्रीराम जयराम जय जय राम
 
- राम राम रामेति रामे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम तत्तुल्यम रामनाम वरानने।
 
- ऊं श्रीराम लक्ष्मण हनुमत्सहितम्।
 
- श्रीराम रघुकुल नायकं, रामचन्द्रं जगतां पते। रामं नारायणं वन्दे, हनुमत्संयुक्तं प्रिये।
 
- ऊं राम रक्षायां कुर्वाणे, शरणं तं प्रपद्ये।
 
- सिंहासन हाँ बैठे राजा रामचन्द्र। पिया रंग, राग, प्रेमम, भरपूर भाग।
 
- रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।