गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता है। यह पर्व उस ऐतिहासिक अवसर की याद दिलाता है जब भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए इंद्र के अहंकार को कुचल दिया था। साल 2025 में गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त के अनुसार ही की जानी चाहिए:
गोवर्धन पूजा की चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका:
1. प्रातःकालीन अनुष्ठान
2. पूजा स्थल तैयारी
3. गोवर्धन मूर्ति निर्माण
4. षोडशोपचार पूजा
5. प्रार्थना
6. छप्पन भोग तैयारी
7. भोग अर्पण
8. भक्ति गीत
9. मंत्र जाप
10. परिक्रमा
11. आरती
1. अन्नकूट अनुष्ठान
2. भगवान कृष्ण की मूर्तियों का शृंगार
3. भोग लगाने की परंपरा
4. दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में विशेष पूजा
गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण और उनके भक्तों के बीच के अनमोल बंधन को दर्शाता है। यह त्योहार भक्ति और आस्था का सम्मान करने का दिन है, जो हमें याद दिलाता है कि भगवान जीवन की चुनौतियों के दौरान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
इस दिन की कहानी हमें प्रकृति की शक्ति का सम्मान करना और उसके आशीर्वाद के लिए आभारी होना सिखाती है। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था, जो दर्शाता है कि भक्ति ही ईश्वर से जुड़ने का मार्ग है।
वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले
वैदिक पंचाग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह में कृष्ण जन्माष्टमी आज यानी 22 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने और जीवन के दुखों को दूर करने का श्रेष्ठ अवसर है।
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया ।