2025 में विभिन्न ग्रह अपनी राशि परिवर्तन करेंगे। इसमें गुरु का भी गोचर होगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में देवताओं के गुरु बृहस्पति सभी ग्रहों में सबसे खास और असरकारक ग्रह माने जाते हैं। गुरु धनु और मीन राशि के स्वामी ग्रह हैं। गुरु का राशि परिवर्तन करीब एक साल बाद होता है। अभी गुरु वृषभ राशि में मौजूद है और साल 2025 में राशि परिवर्तन करेंगे। तो आइए इस आलेख में गुरु ग्रह के गोचर से राशियों पर होने वाले शुभ प्रभावों को विस्तार से जानते हैं।
साल 2025 में गुरु का राशि परिवर्तन बहुत ही खास रहेगा, क्योंकि साल 2025 में गुरु तीन गुना अधिक चाल से गति करेंगे जिसे ज्योतिष में अतिचारी कहा जाता है। गुरु के अतिचारी होने से इसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक देवगुरु बृहस्पति साल 2025 में पहली बार 14 मई को मिथुन राशि में गोचर करेंगे, फिर इसके बाद 18 अक्तूबर 2025 को मिथुन से कर्क राशि में जाएंगे, कर्क राशि में गुरु उच्च के हो जाएंगे और साल के अंत में 5 दिसंबर को फिर से मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
गुरु के साल 2025 में अतिचारी होने की वजह से सभी 12 राशियों के जातकों पर इसका विशेष प्रभाव होगा। हालांकि, कुछ राशि के जातकों को इसका सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा, जो इस प्रकार हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, मासिक कार्तिगाई एक विशेष पर्व है जो हर महीने कार्तिगई नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारत में अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है, विशेषकर तमिलनाडु में।
कार्तिगाई दीपम जिसे तमिल संस्कृति में विशेष रूप से मासिक कार्तिगाई के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है जो मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज 23 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के साथ सोमवार का दिन है। इसके साथ ही आज आर्द्रा नक्षत्र के साथ धृति और शूल का निर्माण हो रहा है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज 24 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के साथ मंगलवार का दिन है। इसके साथ ही आज आर्द्रा नक्षत्र के साथ शूल और गण्ड योग का निर्माण हो रहा है।