Sawan 2025: सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे खास समय माना जाता है। इस बार सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त को होगा। हिंदू धर्म में श्रावण मास को शिव जी का प्रिय महीना कहा गया है। इस महीने में शिव भक्त मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं और बेलपत्र, दूध, दही, घी आदि अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग की पूजा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व कितना गहरा है? आइए जानते हैं शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है और इसके क्या-क्या लाभ होते हैं।
शिवलिंग केवल एक पत्थर या आकृति नहीं, बल्कि यह भगवान शिव के ब्रह्मरूप को दर्शाता है। शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग का प्रकाट्य शिव की अनंत और निराकार शक्ति को समझाने के लिए हुआ था। यह शिव जी का ही एक रूप है जो भक्तों को उनसे सीधे जुड़ने का माध्यम प्रदान करता है। वेदों में भी यह उल्लेख है कि भगवान शिव की केवल मूर्ति ही नहीं बल्कि शिवलिंग की पूजा भी की जाती है। अन्य देवी-देवताओं की पूजा उनके विग्रह (मूर्तियों) के माध्यम से होती है, लेकिन भगवान शिव की पूजा उनके लिंग रूप और मूर्ति दोनों से की जाती है।
शिव पुराण कहता है कि भगवान शिव के स्वरूप को जानना, समझना और उस पर मनन करना आसान नहीं होता। इसके लिए एक योग्य गुरु की आवश्यकता होती है, जो शिव तत्व की व्याख्या करे और साधक की शंकाओं का समाधान करे। यदि किसी को ऐसा मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा हो, तो वह शिवलिंग की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजा करके भी आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकता है।
श्रावण मास में शिवलिंग की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इसी माह में भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान विष पिया था और दुनिया को बचाया था। इसलिए सावन में भक्त विशेष रूप से शिव की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।