चन्द्रघंटा माँ से अर्जी मेरी (Chandraghanta Maa Se Arji Meri)

चन्द्रघंटा माँ से अर्जी मेरी,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी ॥


दस हाथ सुशोभित है,

दस भुजा सुशोभित है,

सोने सा रूप तेरा,

जिस पर जग मोहित है,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी ॥


तू अति बलशाली है,

माँ अति बलशाली है,

दुष्टों का दमन करती,

तेरी शान निराली है,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी ॥


जादू या अजूबा है,

चंद्रघंटा सवारे दुनिया,

जिसने माँ को पूजा है,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी ॥


तलवार कमंडल माँ,

घंटे की प्रबल ध्वनि से,

गूंजे भूमंडल माँ,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी ॥


भोग दूध शहद भाता,

बस पूजन अर्चन से,

दुःख निकट नहीं आता,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी ॥


तेरी पूजा खुशहाली है,

हे मात चंद्रघंटा,

तेरी शान निराली है,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी ॥


दुःख ‘अनुज’ का भी हरती,

शरणागत की रक्षा,

‘देवेन्द्र’ सदा करती,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी ॥


चन्द्रघंटा माँ से अर्जी मेरी,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी,

मैं दास बनूँ तेरा,

अब जैसे मर्जी तेरी ॥


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श्री रामायण जी की आरती (Shri Ramayan Ji Ki Aarti)

आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

रथ सप्तमी सर्वार्थसिद्धि योग

हिंदू धर्म में, रथ सप्तमी का पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। इस साल रथ सप्तमी का पर्व 4 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।

मोरी मैया महान(Mori Maiya Mahan)

मोरी मैया महान,
मोरी मईया महान,

वृश्चिक संक्रांति का महत्व

वृश्चिक संक्रांति पौराणिक कथाओं के अनुसार एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योंहार है। यह हिंदू संस्कृति में सौर दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान सूर्य जी की पूजा के लिए विशेष माना होता है। वृश्चिक संक्रांति के समय सूर्य उपासना के साथ ही मंगल ग्रह शांति एवं पूजा करने से मंगल ग्रह की कृपा होती है।

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