गोबिंद चले चरावन गैया ।
दिनो है रिषि आजु भलौ दिन,
कह्यौ है जसोदा मैया ॥
उबटि न्हवाइ बसन भुषन,
सजि बिप्रनि देत बधैया ।
करि सिर तिलकु आरती बारति,
फ़ुनि-फ़ुनि लेति बलैया ॥
’चतुर्भुजदास’ छाक छीके सजि,
सखिन सहित बलभैया ।
गिरिधर गवनत देखि अंक भर,
मुख चूम्यो व्रजरैया ॥
भगवान विष्णु के पांचवें अवतार की आराधना हम कपिल मुनि के रूप में करते हैं। यह अवतार विष्णु जी के 24 अवतारों में से प्रमुख है, जिसे अग्नि का अवतार भी कहा जाता है।
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