केवट ने कहा रघुराई से(Kewat Ne Kaha Raghurai Se)

केवट ने कहा रघुराई से,

उतराई ना लूंगा हे भगवन,

उतराई ना लूंगा हे भगवन,

केवट ने कहा रघुराईं से,

उतराई ना लूंगा हे भगवन ॥


मैं नदी नाल का सेवक हूँ,

तुम भवसागर के स्वामी हो,

मैं यहाँ पे पार लगाता हूँ,

तुम वहाँ पे पार लगा देना,

केवट ने कहा रघुराईं से,

उतराई ना लूंगा हे भगवन ॥


तूने अहिल्या को पार लगाया है,

मुझको भी पार लगा देना,

मैं यहाँ पे पार लगाता हूँ,

तुम वहाँ पे पार लगा देना,

केवट ने कहा रघुराईं से,

उतराई ना लूंगा हे भगवन ॥


केवट ने कहा रघुराई से,

उतराई ना लूंगा हे भगवन,

उतराई ना लूंगा हे भगवन,

केवट ने कहा रघुराईं से,

उतराई ना लूंगा हे भगवन ॥

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मेरा मन पंछी ये बोले, उड़ वृन्दावन जाऊँ (Mera Man Panchi Ye Bole Ud Vrindavan Jaau)

मेरा मन पंछी ये बोले,
उड़ वृन्दावन जाऊँ,

जोगी भेष धरकर, नंदी पे चढ़कर (Jogi Bhesh Dharkar Nandi Pe Chadhkar)

जोगी भेष धरकर,
नंदी पे चढ़कर ॥

ओ शंकर भोले, जपती मैं तुमको हरदम (O Shankar Bhole Japti Main Tumko Hardam)

ओ शंकर भोले,
जपती मैं तुमको हरदम,

धरा पर अँधेरा बहुत छा रहा है (Dhara Par Andhera Bahut Chha Raha Hai)

धरा पर अँधेरा बहुत छा रहा है।
दिये से दिये को जलाना पड़ेगा॥

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