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मेरा संकट कट गया जी (Mera Sankat Kat Gaya Ji)

मेरा संकट कट गया जी (Mera Sankat Kat Gaya Ji)

मेरा संकट कट गया जी,

मेहंदीपुर के दरबार में,

मेरा संकट कट ग्या,

संकट कट ग्या,

संकट कट ग्या जी,

मेरा संकट कट ग्या जी,

मेहंदीपुर के दरबार में ॥


क दिन चौराहे के ऊपर,

पैर मेरा था आया,

पीछे पड़ गया यारो मेरे,

एक भूत का साया,

हालत मेरी बिगड़न लागी,

समझ नहीं कुछ आवे,

मेरे बस की बात नही वो,

मन्ने घणा सतावे,

वो मेरे चिपट गया जी,

मैं सर मारू दीवार में,

मेरा संकट कट ग्या जी,

मेहंदीपुर के दरबार में ॥


श्याणे शपटे रोज करे,

चिमटे से मेरी पिटाई,

डॉक्टर वैद्य दिखाता डोलूं,

लागे नही दवाई,

एक जना यूँ बोला इसने,

मेहंदीपुर ले चालो,

बांध जूट ते इसने,

तुम सूमो के अंदर घालो,

मैं जाने ते नट गया जी,

उस बाबा के दरबार में,

मेरा संकट कट ग्या जी,

मेहंदीपुर के दरबार में ॥


मेहंदीपुर पंहुचा तो,

‘नरसी’ चेन थोड़ा सा आया,

लागा जब आरती का छींटा,

निर्मल हो गई काया,

भूत प्रेत सब भागे मेरे,

मिल गया था छुटकारा,

बालाजी ने कर दिया मेरे,

संकट का निपटारा,

मेरे संकट का निपटारा,

मन्ने बेरा पट गया जी,

ना इसा कोई संसार में,

मेरा संकट कट ग्या जी,

मेहंदीपुर के दरबार में ॥


मेरा संकट कट गया जी,

मेहंदीपुर के दरबार में,

मेरा संकट कट ग्या,

संकट कट ग्या,

संकट कट ग्या जी,

मेरा संकट कट ग्या जी,

मेहंदीपुर के दरबार में ॥


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