शिव का डमरू डम डम बाजे,
टोली कावड़ियों की नाचे,
कावड़ियों की नाचे,
टोली कावड़ियों की नाचे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
कोई पहने पीले वस्त्र,
कोई पहने लाल,
दाढ़ी मूछें बड़ी हुई हैं,
रूखे सूखे बाल,
शिव भोले को चले मनाने,
नंगे पैरों भागे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
आंधी आवे पानी आवे,
चाहे दुपहरिया भारी,
जंगल हो या पहाड़ के रस्ते,
पांव न धरे पिछाड़ी,
कावड़ लेने चले है सारे,
लोग लुगाई बच्चे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
भोले जी के धाम चले है,
एक दूसरे के संग में,
हरिद्वार से लेकर कावड़,
रंग गए शिव के रंग में,
सावन की रुत आई सुहानी,
गाए कोई नाचे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
गंगाजल शंकर को चढ़ा कर,
भगत मगन हुए सारे,
हाथ जोड़ कर खड़े कावरिया,
शिव भोले के द्वारे,
‘आनन्द’ गाए शिव के भजन,
कावरिये मिलकर नाचे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
शिव का डमरू डम डम बाजे,
टोली कावड़ियों की नाचे,
कावड़ियों की नाचे,
टोली कावड़ियों की नाचे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे।।
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों को डर और संकट से मुक्ति दिलाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कालरात्रि का अर्थ होता है, काल यानी मृत्यु और भय को भी अपने वश में करने वाला, जिन्हें हम मां कालरात्रि के नाम से जानते हैं।
आज 10 अप्रैल 2025 चैत्र माह का पच्चीसवां दिन है और आज इस पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तिथि त्रयोदशी है। आज गुरूवार का दिन है। इस तिथि पर वृद्धि योग रहेगा।
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की साधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि अपने भक्तों के जीवन से अंधकार और अज्ञान को समाप्त करती हैं और उन्हें शक्ति प्रदान करती हैं।
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। देवी महागौरी को शक्ति, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक कहा गया है। मां का नाम उनके रंग के आधार पर रखा गया है, जो अत्यंत ही शुभ और तेजस्वी हैं।